मनरेगा आयुक्त ने जलछाजन की योजनाओं को लेकर की बैठक

झारखंड
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रांची। झारखंड जलछाजन परियोजना व प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलछाजन विकास अव्यय 2.0 के तहत 12 जुलाई, 2024 को विभागीय सभागार में समीक्षा बैठक की गई। इसमें मनरेगा आयुक्त श्रीमती राजेश्वरी बी ने कहा कि जिले में इस वर्ष अपेक्षाकृत वर्षा कम हुई है। इसलिए यहां जलछाजन की स्कीम की महत्ता बढ़ जाती है। जिलों में जल संरक्षण को लेकर हर स्तर पर अभियान चलाए जा रहे हैं। जल की एक-एक बूंद के संरक्षण और उसके महत्व को विस्तारपूर्वक बताया गया।

मनरेगा आयुक्‍त ने कहा कि पानी को व्यर्थ नहीं बहाएं। पानी के व्यर्थ बहाव को रोकना सबकी जिम्मेदारी है। जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जन जागरुकता जरूरी है। इन योजनाओं को आत्मसात करते हुए प्लानिंग के साथ कृषि करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ड्रिप इरीगेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे जल संग्रहण के साथ-साथ फसल सिंचाई भी अच्छे से किया जा सकता है।

श्रीमती राजेश्वरी बी ने कहा कि जल छाजन कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण में सही संतुलन को स्थापित करना, मिट्टी के कटाव को रोकना, प्राकृतिक वनस्पतियों को पुनर्जीवित करना, वर्षा जल का संरक्षण कर भूजल को बढ़ावा देना, मिश्रित खेती तथा खेती की नई तकनीकों को बढ़ावा देना व टिकाऊ जीविकोपार्जन पद्धति को बढ़ावा देना है।

बैठक में पीपीटी के माध्यम से जलछाजन को लेकर आवश्यकताओं के अतिरिक्‍त जल संकट की स्थिति और आम आदमी की पहल के साथ जल संरक्षण के उपाय की जानकारी दी गई। इनमें जल, जंगल और जमीन का उचित संरक्षण एवं विकास करना, पारिस्थितिकी में सही संतुलन स्थापित करना, मिट्टी के कटाव को रोकना, प्राकृतिक तथा वनस्पतियों को पुनर्जीवित करना, वर्षा जल का संरक्षण तथा भूजल को बढ़ावा देना, मिश्रित होती तथा खेती के नई तकनीकों को बढ़वा देना, टिकाउ जीविकोपार्जन पद्धति को बढ़वा देने की जानकारी दी गई।

इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्‍त सचिव अवध प्रसाद, जिला तकनीकी विशेषज्ञ समेत अन्य उपस्थित थे।

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