रांची। मजदूर अधिकारों को संरक्षित करने वाले सभी श्रम कानूनों को केन्द्र सरकार संशोधन कर रही है। श्रम कोड मजदूरों के बजाय कंपनियों के हितों को ज्यादा लागू कर रही है। आज मजदूर घोर असुरक्षा में बेगारी पर काम करने के लिए मजबूर है। कंपनियां मजदूरों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव कर रही है।
भवन निर्माण कर्मकारों के लिए बना कल्याण बोर्ड भी हाथी का दांत की तरह दिखावा साबित हो रहा है। मजदूरों के लाभ के बजाए कम्पनियों पर मेहरबान है। उपरोक बातें झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन की डोरंडा में आयोजित राज्य कमेटी की बैठक को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव सचिव एसके शर्मा ने कही।
शर्मा ने कहा कि केन्द्र हो राज्य सरकार की सरकारें दोनों मजदूरों के हितों के प्रति असंवेदनशील है। केन्द्र के इशारे पर राज्यों में श्रम कोड लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इससे मजदूरों का जीवन और भी बदतर होगा। मजदूर विरोधी सरकार के खिलाफ़ अगस्त महीने में आंदोलन तेज होगा।
एक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि गजट नोटिफिकेशन के बावजूद न्यूनतम मजदूरी में संशोधन असंवैधानिक है। आपत्ति करने की अवधि समाप्त होने के बावजूद सरकार द्वारा कंपनियों के इशारे पर बदलने की कोशिश मजदूर बिरोधी कदम है। 90 प्रकार के मजदूरों के लिए सर्वसहमति से न्यूनतम मज़दूरी में राज्य सरकार बदलाव करेगी तो आन्दोलन तेज होगा।
निर्माण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड विधानसभा के चुनाव में मजदूर मूकदर्शक नहीं बनेगें। वर्षो के संघर्षों से मज़दूरों को मिली अधिकारों पर हमला करने वाली सरकार के खिलाफ़ निमार्ण मजदूर निर्णायक भूमिका अदा करेगे। श्रम कानून में संशोधन के खिलाफ़ लेबर कोड वापस लेने की मांग पर 20 जुलाई से 8 अगस्त तक पूरे राज्य में हस्ताक्षर आभियान चलाकर केन्द्र सरकार को सौंपा जाएगा।
बैठक में रांची, रामगढ़, चतरा, देवघर, दुमका, गुमला, बोकारो समेत कई जिलों के राज्य कमेटी सदस्यों ने भाग लिया। मौके पर निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुभाष मंडल, भुवनेश्वर बेदिया, अमल घोष, विजय गिरी, भीम साहू, अशोक महतो, शेख सहदूल, सरिता तिग्गा, श्यामलाल चौधरी, किशोर खंडित, दयाल चंद पंडित, एनामुल हक, इतवारी देवी, कार्तिक उरांव समेत कई मजदूर नेता शामिल हुए।
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