पटना। बिहार की उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालयों और शिक्षा विभाग के बीच गतिरोध जारी है। विगत तीन-चार महीनों से विश्वविद्यालय कर्मियों को वेतन एवं पेंशन नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है। इस गतिरोध को खत्म करने के लिए विश्वविद्यालयों को पटना उच्च न्यायालय का शरण लेना पड़ा।
पटना उच्च न्यायालय के 3 मई, 2024 के आदेश के आलोक में गतिरोध को आपसी सामंजस्य से खत्म करने के लिए विश्वविद्यालयों एवं शिक्षा विभाग के बीच बैठक 6 मई, 2024 को मौर्य होटल में सुनिश्चित की गई थी। हालांकि, इस बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव उपस्थित नहीं हुए। बैठक तो हुई, परंतु कोई निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका।
उच्च न्यायालय के आदेश पर शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के खातों को डिफ्रीज तो कर दिया, परंतु उनके पीएल खातों में पैसा ही नहीं भेजा। इससे कि विश्वविद्यालयों के कर्मियों का वेतन एवं पेंशन का भुगतान किया जा सके। उच्च न्यायलय के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग ने तीन विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर रोक लगा दी। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन रोक दिया।
पटना उच्च न्यायालय ने 17 मई, 2024 को इस विषय पर पुनः सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को यह आदेश दिया कि सभी विश्वविद्यालयों के कर्मियों को पिछले वित्तीय वर्ष में स्वीकृत वेतन एवं पेंशन की राशि दस दिनों के अंदर भुगतान करें, अन्यथा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी भी अपने वेतन को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। अगली सुनवाई 25 जून, 2024 तय की गई है।
जानकारों का कहना है कि पटना उच्च न्यायालय का आदेश बिहार की उच्च शिक्षा की शैक्षणिक संरचना के हित में दूरगामी प्रभाव डालने वाला है। उच्च शिक्षा विभाग के डायरेक्टर एवं सचिव को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि वे विश्वविद्यालयों के कुलपति की मीटिंग की अध्यक्षता करें। यह हास्यास्पद है कि बिहार के शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव अपने पत्रों के माध्यम से कुलपतियों को हटाने की बात कर रहे हैं।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदलाव के दौर से गुजर रही है। इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी को सहयोग एवं समन्वय की भावना से कार्य करने की जरूरत है। कुलाधिपति इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। शिक्षा विभाग को यह समझना होगा कि संवाद, समन्वय एवं सहकार्य के आधार पर ही बिहार की उच्च शिक्षा को मुकाम दिया जा सकता है। वैद्यनाथ यादव एवं केके पाठक को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मीटिंग के बालहठ को छोड़कर उसके हित में सहयोग देना अपेक्षित है।
बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है। आशा व्यक्त की है कि जल्द ही शिक्षा विभाग का विश्वविद्यालयों के प्रति रवैए में सकारात्मक परिवर्तन होगा, जिससे बिहार की उच्च शिक्षा से जुड़े छात्रों का भविष्य संवारा जा सकेगा। विश्वविद्यालय कर्मियों को वेतन एवं पेंशन के नहीं मिलने से उत्पन्न हो रही कठिनाइयों के लिए खेद व्यक्त किया है।
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