पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 25 साल बाद मानी गलती, पढ़ें

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। पाकिस्तान कोई गलती करे और उसे स्वीकार कर ले, ऐसा हो नहीं सकता, पर इस बार उल्टी गंगा बही है। जी हां, आपने सही पढ़ा। आइए जानें पूरा मामला…  

पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान ने 1999 के लाहौर समझौते का उल्लंघन किया था। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने परोक्ष रूप से जनरल परवेज मुशर्रफ के कारगिल में घुसपैठ का जिक्र करते हुए कहा, “यह हमारी गलती थी।”

पाकिस्तान के पूर्व पीएम शरीफ ने अपनी पार्टी की एक बैठक में स्वीकार किया, “28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे। उसके बाद, वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया, लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया…यह हमारी गलती थी।”

लाहौर समझौता, दो युद्धरत पड़ोसियों के बीच एक शांति समझौता है, जिसमें अन्य चीजों पर ध्यान देने के अलावा शांति और सुरक्षा बनाए रखने और दोनों देशों के बीच पिपुल-टू-पिपुल कॉन्टेक्ट को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था।  हालांकि, बकौल नवाज शरीफ पाकिस्तान ने कुछ ही समय बाद कारगिल में घुसपैठ कर इसका उल्लंघन किया था। पाकिस्तानी सेना की इसी घुसपैठ की वजह से कारगिल युद्ध हुआ था।

पाकिस्तान के तब आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने अपनी सेना को गुप्त रूप से मार्च 1999 में जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ का आदेश दिया था। भारत को जब इस घुसपैठ का पता चला, तो बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ गया। नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री रहते भारत ने युद्ध जीत लिया था। दरअसल, मंगलवार को पाकिस्तान ने अपने पहले परमाणु परीक्षण की 26वीं वर्षगांठ मनाई है।

अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) या पीएमएलएन की एक बैठक में कहा, “राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए पांच अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने इनकार कर दिया।” उन्होंने इमरान खान को निशाने पर लेते हुए कहा, “(पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान जैसे लोग अगर मेरी सीट पर होते तो उन्होंने क्लिंटन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता।”

पनामा पेपर्स मामले में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीन बार के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को अपना पीएम पद छोड़ना पड़ा था। बाद में उन्हें ब्रिटेन शिफ्ट होना पड़ गया था। इसके छह साल बाद मंगलवार को वह ‘निर्विरोध’ पीएमएल-एन के अध्यक्ष चुने गए। नवाज ने अपने खिलाफ तमाम मामलों को झूठा बताया, जिसकी वजह से उन्हें 2017 में प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

साथ ही आरोप लगाया कि उन्हें पीएम पद से इसलिए हटाया गया था ताकि, इमरान खान को सत्ता में लाया जा सके, जो फिलहाल भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं। उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए आईएसआई प्रमुख से मिले संदेश का भी जिक्र किया और कहा, ‘जब मैंने इनकार कर दिया, तो उन्होंने मुझे उदाहरण बनाने की धमकी दी थी।’