डॉ चंचल शर्मा
विश्व स्तर पर बांझपन एक बढ़ती हुई चिंता है। इससे लाखों जोड़े प्रभावित हो रहे हैं। भारत में सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों की जड़ें गहरी हैं। प्रजनन समाधान की खोज अक्सर पारंपरिक प्रथाओं की ओर मुड़ जाती है। इसमें आहार संबंधी हस्तक्षेप भी शामिल हैं। यह लेख प्राचीन ज्ञान और आधुनिक पोषण विज्ञान पर आधारित, बांझपन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए भारतीय आहार की क्षमता पर प्रकाश डालता है।
आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपनाना
आयुर्वेद, प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली, शरीर के भीतर संतुलन और सद्भाव पर बहुत जोर देती है। जब बांझपन की बात आती है, तब आयुर्वेद सुझाव देता है कि दोषों (वात, पित्त और कफ) में असंतुलन प्रजनन संबंधी चुनौतियों में योगदान कर सकता है। किसी के प्रमुख दोष के अनुरूप आहार का पालन करने से संतुलन बहाल करने में मदद मिल सकती है। उदाहरण के लिए वात-प्रधान व्यक्तियों को गर्म, पौष्टिक खाद्य पदार्थों से लाभ हो सकता है, जबकि पित्त-प्रधान व्यक्तियों को शीतलता और सुखदायक विकल्पों से राहत मिल सकती है।
पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य
आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर संपूर्ण आहार प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय व्यंजन रंगीन सब्जियों, साबुत अनाज, दुबले प्रोटीन और डेयरी सहित पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की बहुतायत प्रदान करते हैं। मौसमी और स्थानीय रूप से प्राप्त उत्पादों को शामिल करने से प्रजनन कार्य के लिए आवश्यक विटामिन और खनिजों की एक विविध श्रृंखला सुनिश्चित होती है।
जड़ी-बूटियाे और मसाले के उपयोग
भारतीय पाक कला जड़ी-बूटियों और मसालों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से कई में औषधीय गुण माने जाते हैं। हल्दी, मेथी, अश्वगंधा और शतावरी उन जड़ी-बूटियों में से हैं जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से प्रजनन स्वास्थ्य में सहायता के लिए किया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि ये तत्व हार्मोन को नियंत्रित करते हैं, सूजन को कम करते हैं और समग्र प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं।
ध्यानपूर्वक भोजन करने की आदतें
आयुर्वेद शरीर और दिमाग दोनों पर भोजन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, सावधानीपूर्वक खाने को महत्व देता है। तनाव बांझपन का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। ध्यान, योग और सचेत भोजन जैसे अभ्यास तनाव के स्तर को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना प्रजनन क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।
खाने योग्य खाद्य
आंवला, अनार, छाछ, काली मिर्च, एरण्ड तेल, लौकी, परवल, पेठा, तुर्य्या, अंजीर, अलसी बीज, मेथी, मौसमी फल, काले तिल और गुड़
कम खाने योग्य
तुवर दाल, चना, राजमा, चावल, छोले, चावल
ना खाने योग्य
चना दाल, उड़द दाल, साबूदाना, कच्चा टमाटर,
नोट :- ये सलहा ज्यादातर मरीजों के लिये ऐसे ही रहती है। कुछ मरीजों के लिये ये अलग हो सकती है।
सलाहकार से परामर्श
पारंपरिक आयुर्वेदिक पद्धतियां मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। उन्हें आधुनिक नैदानिक ज्ञान के साथ पूरक करना आवश्यक है। आयुर्वेदिक चिकित्सा और उपचार प्रणाली सबसे अच्छी होती है। रोगियों को आधुनिक नैदानिक मापदंडों के साथ परिणाम दिखाए जाते हैं, जो रोगियों में उपचार के प्रति आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
(लेखक : आशा आयुर्वेद की निदेशक हैं। ये उनके विचार हैं)
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