झारखंड के 38432 आंगनवाड़ियों में से 1000 में बालवाड़ी चलाने की मंजूरी : निदेशक

झारखंड
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  • एनजीओ एकजुट की कार्यशाला आयोजित

रांची। एनजीओ एकजुट के तत्‍वावधान में रांची के बुंडू ब्लॉक में कार्यान्वित की गई देखभाल व पोषण परियोजना पर प्रसार कार्यशाला 23 फरवरी, 2024 को कांके रोड स्थित एक होटल में हुई। झारखंड सरकार के समाज कल्‍याण निदेशक शशि प्रकाश झा ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्‍होंने ने छह महीने से लेकर 3 साल के बच्चों के स्वास्थ्य और परिवार के कल्याण में बालवाड़ी की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताया।

निदेशक ने एकजुट द्वारा बनाई गई एक मॉडल बालवाड़ी की झांकी भी देखी। झा ने यह भी घोषणा की कि सरकार को राज्य के 38432 आंगनवाड़ियों में से 1000 आंगनवाड़ियों में बालवाड़ी चलाने की भी मंजूरी मिल गई है।  उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं से भी आग्रह किया कि वे इन बालवाड़ियों की शुरुआत करने में सरकार का सहयोग करें। 

इस प्रसार कार्यशाला में करीब 35 स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इनमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, यूनिसेफ़, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, पिरामल फाउंडेशन,  पीएचआईए फाउंडेशन, सिनी, प्रदान, टाटा स्टील फाउंडेशन, उम्मीद फाउंडेशन, झारखंड राजकीय आजीविका मिशन, बचपन बचाओ आंदोलन, जेएचपीआईईजीओ, यूएसऐड, समर्पण, सवेरा फाउंडेशन, दी हंस फाउंडेशन, टीआरआईऍफ़, आईएजी, दीपशिखा आदि शामिल हैं।

इस प्रसार कार्यशाला में प्रोजेक्ट क्षेत्र में कुपोषण और बच्चों की बीमारियों में कमी, खाद्य प्रथा, साफ़-सफाई, स्वास्थ्य स्थिति और प्रारंभिक बाल विकास आदि घटकों पर प्रारंभिक परिणाम भी साझा किए गए।

एकजुट शिशु व मां के स्वास्थ्य, पोषण, शिशु की प्रारम्भिक शिक्षा व विकास आदि विषयों पर झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों में 2002 से कार्यरत है।

यूबीएस ऑप्टीमस फाउंडेशन की वित्तीय सहायता से एकजुट संस्था ने रांची के बुंडू ब्लॉक के 23 गांवों में देखभाल व पोषण परियोजना क्रियान्वित की है। इसका उद्देश्य सामुदायिक बालवाड़ियों और सहभागी सीख व क्रियान्वन समूह (पी.एल.ए ग्रुप) के माध्यम से कुपोषण से बचाव व शिशु के प्रारम्भिक विकास में सुधार करना था।

इस परियोजना के उपरोक्त दो घटकों के माध्यम से एकजुट दो वर्षों में (2022-2023) करीब 25000 की जनसंख्या तक पहुंच सका। एकजुट शिशु व मां के स्वास्थ्य, पोषण, शिशु की प्रारम्भिक शिक्षा व विकास आदि विषयों पर झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों में 2002 से कार्यरत है।

परियोजना से ये बदलाव पाया गया

कुपोषण में 34.5%  से 26.5 % की गिरावट पाई गई
बच्चों के आहार और भोजन प्रथा में सुधार-
अ) खाद्य विविधता में 15.8 % से 48 % का सुधार हुआ
ब) बच्चों के न्यूनतम स्वीकार्य आहार में 9.8% से 21 % का सुधार हुआ
हाथ धोने की प्रथाओं में 46.2% से 86% सुधार हुआ
डायरिया में 14.3 % से 2.1 की गिरावट पाई गई
24.6% से घटकर केवल 10.36% बच्चों को विकास मानकों को प्राप्त करने में मदद की जरूरत पड़ी

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