अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए भव्य गर्भगृह तैयार, सामने आया वीडियो, देखिए

उत्तर प्रदेश देश धर्म/अध्यात्म
Spread the love

अयोध्या। राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इससे पहले मंदिर प्रशासन राम मंदिर को अंतिम रूप देने में जुटा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो रात में शूट किया गया है और मंदिर निर्माण के कार्यों को दर्शाया गया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “प्रभु श्री रामलला सरकार का पवित्र गर्भगृह दुनिया भर के लाखों राम भक्तों के स्वागत के लिए अपनी पूरी भव्यता के साथ तैयार है।“

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मूर्ति के स्वरूप का खुलासा करते हुए कहा है कि, जो मूर्ति श्री राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होगी, वह श्यामल रंग की होगी।

रामचरितमानस और बाल्मीकि रामायण में वर्णित राम के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए राम मंदिर ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया। कर्नाटक के पत्तों से बनी दो श्यामल पत्थरों में से एक मूर्ति श्री राम के गर्भ गृह मंदिर में स्थापित होगी और बाकी दोनों अलग-अलग स्थलों पर स्थापित की जाएगी।

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने मूर्ति को विस्तार से वर्णन किया, कहते हुए, ‘इस मूर्ति में देवत्व यानी भगवान का अवतार है, विष्णु का अवतार है। यह एक राजा का बेटा होने के साथ-साथ राज पुत्र और देवत्व का संगम है।’

मूर्ति का विस्तार से वर्णन करते हुए चंपत राय ने कहा, ‘यदि हम पैर की उंगली से लेकर आंख की भौ तक देखें, तो यह मूर्ति चार फीट, 3 इंच की प्रतिमा है, लगभग 51 इंच ऊंची है। इसमें थोड़ा मस्तक, मुकुट, और आभामंडल शामिल हैं।’

चंपत राय ने बताया कि पूजा विधि 16 जनवरी से शुरू होगी और मूर्ति गर्भ गृह में 18 तारीख को स्थापित की जाएगी। मूर्ति का शरीर लगभग डेढ़ टन का है और यह एकदम पत्थर से बनी है, श्यामल रंग की।

बताते चलें कि, रामनगरी अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं और अयोध्या के लोग अपने आराध्य को लेकर उत्साहित हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में सन्यासी, राजनीति, खेल, बॉलीवुड, बिजनेस जगत की बड़ी-बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया है।

जानिए मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
  • मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
  • मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
  • मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
  • मंदिर में 5 मंडप होंगे। नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।
  • खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
  • मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
  • दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
  • मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
  • परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
  • मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
  • मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
  • मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
  • मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।