अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा कल, जानें विशेषताएं

उत्तर प्रदेश देश
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अयोध्‍या। उत्तर प्रदेश के अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा 22 जनवरी, 2024 को होनी है। समारोह का हिस्‍सा बनने के लिए हजारों लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। इसमें भाग लेने के लिए विशेष से भी कई गणमान्‍य लोग आएंगे।

प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर देश-विदेश में उत्‍साह देखा जा रहा है। लोगों की आस्‍था और उल्‍लास के कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। लोगों में मंदिर की विशेषताएं जानने की उत्‍सुकता भी है। मंदिर की खूबी भी सामने आईं हैं।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं

मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।

मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
मंदिर में 5 मंडप (नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप) होंगे। खंभों और दीवारों में देवी देवता एवं देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।

मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी।

परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।

दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है। वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं हो रहा है। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।

मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।

25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।

मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।

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