अब नए स्‍वरूप में आया सीएमपीडीआई भूविज्ञान संग्रहालय, जानें खूबी

झारखंड
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रांची। कोल इंडिया की सहायक कंपनी सीएमपीडीआई स्थित भूविज्ञान संग्रहालय अब नए स्‍वरूप में दिखेगा। झारखंड की राजधानी रांची शहर के कांके रोड में कंपनी मुख्‍यालय में यह स्थित है। इसमें ज्ञान और रूचि का एक छिपा हुआ खजाना है।

यह ब्रह्मांड के निर्माण से संबंधित जानकारी और वस्तुओं का छोटा लेकिन उल्लेखनीय रूप से सुरूचिपूर्ण प्रदर्शन है। यह हमारी पृथ्वी के कई पहलुओं, धन, संसाधनों और समृद्धि को दर्शाता है। सीएमपीडीआई मुख्यालय के भूतल में स्थित भूविज्ञान संग्रहालय वास्तव में अपनी सामग्री और प्रदर्शन में आकर्षक है। ज्ञान के सभी साधकों के लिए रूचि का स्रोत है।

सीएमपीडीआई एक बौद्धिक संगठन के रूप में एक ऐसा संग्रहालय स्थापित करने के लिए तैयार था, जो सार्वजनिक हित के लिए समग्र जानकारी और ज्ञान की व्यापक पृष्ठभूमि के साथ-साथ खनन के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करे। वर्ष 1991 के आसपास कोल इंडिया प्रबंधन ने इस प्रयास के लिए हरी झंडी दी।

संग्रहालय का मूल डिजाइन एक इन-हाउस आर्किटेक्ट द्वारा तैयार किया गया था। इसके अनुमोदन के बाद प्रसिद्ध कलाकार और कार्यान्वयनकर्ता आरए दत्त को प्रदर्शित किए जाने वाले वस्तुओं के निर्माण और इसकी स्थापना के लिए विधिवत प्रक्रिया के द्वारा चयन किया गया था।

भूविज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन जुलाई, 1991 में किया गया था। यह 1400 करोड़ साल पहले ब्रह्मांड की रचना के साथ शुरू होता है। इसमें लगभग 450 करोड़ साल पहले के सौरमंडल और हमारे ग्रह पृथ्वी का निर्माण भी शामिल है। इस संग्रहालय में ये और कई अन्य मॉडल और डायोरमास एनिमेटेड हैं। आगंतुकों के लिए रूचिकर बनाते है। इसमें ज्वालामुखियों, महासागर, पृथ्वी पर जीवन के आगमन और इसके विकास की कहानियों को बताया गया है। कई दुर्लभ और वास्तविक नमूने जैसे शंख, जीवाश्म, डायनासोर की हड्डियों, भूवैज्ञानिक खजाने, विभिन्न प्रकार के क्रिस्टल और रत्न शामिल हैं, जिसे यहां प्रदर्शित किया गया है।

जलीय क्रिया के कारण चूना पत्थर प्रदेशों में निर्मित भू-आकृतियां जो कास्र्ट लैंडफार्म है, को भी दर्शाया गया है। इसमें स्टैलेक्टाइट एवं स्टैलेग्माइट भी शामिल हैं। इस संग्रहालय में पेड़ों के पेट्रीफाइड (पाषाणकृत) तना के नमूने भी संग्रहित है। मनुष्य का विकास और गुफाओं में आदमी कैसे रहते थे, को मॉडल के माध्यम से दर्शाया गया है। पृथ्वी का क्रॉस-सैक्शन, समुद्र की सतह से पेट्रोलियम का निष्कर्षण और इसके शोधन जैसे भूवैज्ञानिक अभिरूचि वाली वस्तुओं को दिखलाया गया है। एक दिलचस्प मॉडल चंद्रमा पर लूनर मॉड्यूल की लैंडिंग को भी दर्शाया गया है।

इस समान्य प्रदर्शन के बाद एक विशिष्ट गैलरी है, जो कोयला खनन से संबंधित प्रदर्शनों के लिए समर्पित है। विभिन्न प्रकार के कोयले के नमूने उनका तकनीक गुण और ग्रेड के साथ दिखाया गया है। एक बड़ा मॉडल एक विशिष्ट भूमिगत कोयला खदान और इससे संबंधित गतिविधियों की पूरी जानकारी देता है।

यंत्रीकृत खुली खदान और सीबीएम के उपयोग एवं इसे निकालने का एक अद्भुत वर्किंग मॉडल है। यह सीएमपीडीआई के घरेलु (इन-हाउस) तकनीशियन द्वारा तैयार किए गए हैं, जिसमें वास्तव में चलने वाली सभी मशीनों और वाहनों को दर्शाया गया है। यहां ऐतिहासिक लौह-कैप्सूल भी है, जिसका उपयोग 1989 में महावीर कोलियरी दुर्घटना में फंसे खनिकों के जीवन को बचाने के लिए किया गया था।

माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के द्वारा डॉ तारिक सज्जाद, महाप्रबंधक (एम.ई.) के नेतृत्व में संग्रहालय को डिजिटल प्लेटफार्म में परिवर्तित किया गया है। इसमें ऑडियो विजुअल मल्टीमीडिया सिस्टम की नई डिजिटल तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें AR/VR एप्लीकेशन, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन, इंटरेक्टिव इमर्सिव टेक्नोलॉजी और डिजिटल इंटरेक्टिव टच स्क्रीन kiosks उल्लेखनीय है।

केंद्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने 3 अक्‍टूबर, 2023 को नवीकृत संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय नई पीढ़ी और छात्रों के लिए ज्ञान अर्जित करने का उत्कृष्ट माध्यम बनेगा।

इस संग्रहालय को डिजिटल प्लेटफार्म में परिवर्तित करने के लिए एक टेक्निकल टीम का गठन किया गया था। इसमें डॉ तारिक सज्जाद महाप्रबंधक (एम.ई.),

कुणाल दास महाप्रबंधक (यूएमडी), आरके सिंह महाप्रबंधक (भूविज्ञान) गवेषण, सुधीर कुमार सिंह मुख्य प्रबंधक (उत्खनन) ओपन कास्ट, एमके माझी मुख्यप्रबंधक (उत्खनन) इ-प्रोक्योरमेंट, सुनील कुमार, मुख्य प्रबंधक (वित्त), जीतेन्द्र तिवारी मुख्यप्रबंधक (इएंडटी), राहुल कुमार उपप्रबंधक (इएंडटी) के अलावा माइनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के सहायक फोरमैन ने भी योगदान दिया है। इसमें आनंद प्रकाश सिंह, खेम बहादुर नेवर, इमरान हसन शामिल हैं।

सीएमपीडीआई भूविज्ञान संग्रहालय को अब कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम के साथ मल्टी टच स्क्रीन डिस्प्ले/कियोस्क, एआर/वीआर अप्लीकेशन, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन आदि जैसी अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक को उपयोग (तैनात) करके ऑडियो विजुअल मल्टीमीडिया सिस्टम शुरू करके डिजिटल प्लेटफ़ार्म पर भी लाया गया है।

सीएमपीडीआई अब विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए इस संग्रहालय को पुनः खोलेगा। इसे आम जनता के लिए भी दिन-प्रतिदिन के आधार पर फिर से खोला जाएगा।

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