मोर्चा ने श‍िक्षा सचिव के आदेश पर जताई आपत्ति, वापस नहीं होने पर आंदोलन करने की दी धमकी

झारखंड
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  • कहा, न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं करें शिक्षा विभाग

रांची। झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने शिक्षा विभाग पर न्‍यायालय के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश पर आपत्ति‍ जताई है। इसे वापस लेने की मांग की है अन्‍यथा आंदोलन की धमकी दी है।

मोर्चा ने शिक्षा सचिव के रवि कुमार द्वारा 5 अक्टूबर, 2023 (पत्रांक 770) के माध्यम से राज्य के सभी उपायुक्त और जिला शिक्षा अधीक्षकों को दिए गए मार्गदर्शन पर आपत्ति जताई है। मोर्चा ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, वित्त मंत्री, कार्मिक एवं राजभाषा सुधार विभाग के सचिव के साथ निदेशक प्राथमिक शिक्षा को ज्ञापन सौंपा है। इसके माध्‍यम से राज्य सरकार द्वारा जारी संकल्पों और झारखंड उच्च न्यायालय के (WP(S) 4115 / 2021) के आदेश एवं दिशानिर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाया है।

मोर्चा के प्रदेश संयोजक अमीन अहमद एवं प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने कहा कि राज्य के प्राथमिक शिक्षकों को उनकी सेवा शर्तों के अनुरूप हर वर्ष दिसंबर में ग्रेडेशन लिस्ट और जिला रोस्टर तैयार कर अगले साल अप्रैल माह में शिक्षकों को प्रोन्नति देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि विभाग विगत 30 वर्षों से तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर शिक्षकों को प्रोन्नति से वंचित करते आ रहा है। परिणामस्वरूप आज राज्य के तमाम विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हो गए हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है। इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेवार राज्य का शिक्षा विभाग है न कि शिक्षक।

मोर्चा ने कहा कि विभाग वरीय शिक्षकों को अपने ही संकल्पों के विरुद्ध दिशानिर्देश जारी कर उन्हें कनीय शिक्षक से भी कनीय बनाकर आपस में वरीय एवं कनीय का भेदभाव कर प्रोन्नति से वंचित कर रहा है। इस कारण प्रतिवर्ष हजारों शिक्षक प्रोन्नति के बिना अपने बेसिक पद से ही सेवानिवृत्त हो गये। यही हालात रहे तो आगे भी होते रहेंगें।

विभाग के ऐसी तानाशाही कार्यशैली और मंशा से प्रतीत होता है कि राज्य के सभी सरकारी विद्यालय मात्र एक सुलभ सेवा केंद्र के रूप में विकसित हो, जहां राज्य के गरीब बच्चों को शिक्षा में गुणवत्ता के नाम पर सिर्फ नए-नए प्रयोग किये जाते रहें। बच्चे सिर्फ मध्याह्न भोजन एवं राज्य की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाता रहें। विद्यालय के बचे खुचे शिक्षक रिपोर्टिंग कार्य के साथ तमाम गैर शैक्षणिक कार्य का संपादन करते रहें।

राज्य के विद्यालयों में छात्र अनुपात में शिक्षक और पर्याप्‍त भौतिक संसाधन आदि की घोर कमी है। यद्यपि विभाग शिक्षा में गुणवत्ता के नाम पर तरह-तरह से एनजीओ के माध्यम से शिक्षा बजट की बहुत बड़ी राशि खर्च कर रहा है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग शिक्षकों को उनकी सेवा शर्तों के अनुरूप ना ही नई नियुक्ति कर पा रहा है और ना ही प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। यह विभागीय उदासीनता का परिचायक है।

मोर्चा ने विभाग को आगाह करते हुए शिक्षकों की सेवा शर्तों के अनुरूप सभी ग्रेड में शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक विहीन हो चुके राज्य के विद्यालयों को  प्रधानाध्यापक देकर शिक्षा हित मे कार्य करने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, प्रवक्ता अरुण कुमार दास, मक़सूद ज़फ़र हादी, सुमेश कुमार् मिश्रा, राकेश श्रीवास्तव, मो फखरूद्दीन, कृष्णा झा, संजय कुमार, अजय कुमार, पंकज दुबे, संजय झा, ओम प्रकाश आदि शामिल थे।

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