केस दर्ज हुआ, तो मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बदले सुर, कहने लगे…

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तमिलनाडु। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिये गए बयान के बाद पूरे देश में बवाल मच गया। बिहार से लेकर यूपी तक जब उनपर केस दर्ज हुए, तो अब उनके सुर ही बदल गए।

बता दें कि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने हाल ही में सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से करते हुए इसे खत्म करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था, “सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म को खत्म करना मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा।” 

इधर सनातन धर्म विरोधी टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीखे हमले के बाद तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बृहस्पतिवार को भाजपा नेताओं पर उनके बयानों को ‘‘तोड़ मरोड़कर पेश” करने का आरोप लगाया और सभी मामलों का कानूनी रूप से सामना करने का संकल्प जताया।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि वह मणिपुर हिंसा को लेकर उठते सवालों का सामना करने से डरकर ‘‘दुनिया भर में घूम रहे हैं”। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले नौ वर्षों से आपके (भाजपा) सभी वादे खोखले रहे हैं।

आपने वास्तव में हमारे कल्याण के लिए क्या किया है, यह सवाल वर्तमान में फासीवादी भाजपा सरकार के खिलाफ पूरा देश एकजुट होकर उठा रहा है। यह इसी पृष्ठभूमि में है कि भाजपा नेताओं ने टीएनपीडब्ल्यूएए सम्मेलन में मेरे भाषण को तोड़-मरोड़कर ‘नरसंहार भड़काने वाला’ बताया।

वे इसे खुद को बचाने का हथियार मानते हैं।” उदयनिधि ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ‘‘फर्जी खबर” के आधार पर मेरे खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरी निष्पक्षता से कहें, तो मुझे उनके खिलाफ आपराधिक मामले और अन्य अदालती मामले दायर करना चाहिए, क्योंकि उन्होंने सम्मानजनक पदों पर रहते हुए मुझे बदनाम किया। लेकिन मुझे पता है कि यह उनके अपने अस्तित्व को बचाए रखने का तरीका है।

वे नहीं जानते कि अस्तित्व बचाने का और तरीका क्या है, इसलिए मैंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है।” वह द्रमुक के संस्थापक, द्रविड़ वरिष्ठ नेता दिवंगत सीएन अन्नादुरई के राजनीतिक उत्तराधिकारियों में से एक हैं।

उन्होंने अन्नादुरई के कथन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि हम किसी भी धर्म के दुश्मन नहीं हैं। मैं धर्मों पर अन्ना की टिप्पणी बताना चाहूंगा जो आज भी प्रासंगिक है। अगर कोई धर्म लोगों को समानता की ओर ले जाता है और उन्हें भाईचारा सिखाता है, तो मैं भी एक अध्यात्मवादी हूं।

अगर कोई धर्म लोगों को जातियों के नाम पर विभाजित करता है, अगर वह उन्हें अस्पृश्यता और गुलामी सिखाता है, तो मैं ऐसे धर्म का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।” उन्होंने कहा कि द्रमुक उन सभी धर्मों का सम्मान करती है, जो सिखाते हैं कि हर कोई जन्म से समान होता है।