नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें फिर बढ़ने वाली हैं। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर 7 अगस्त की उस अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया गया है, जिसके जरिये कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हुई थी।
‘मोदी’ उपनाम संबंधी राहुल की टिप्पणी को लेकर मानहानि के एक मामले में उनकी सजा पर शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाए जाने के बाद यह अधिसूचना जारी की गई थी। अदालत ने मानहानि मामले में चार अगस्त को राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। राहुल संसद के निचले सदन में वायनाड, केरल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आपराधिक मानहानि को लेकर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उन्हें दोषी करार दिये जाने और दो साल जेल की सजा सुनाये जाने के बाद 24 मार्च को कांग्रेस नेता को संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
बाद में, गुजरात हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ‘राजनीति में शुचिता’ वक्त की दरकार है। लखनऊ के अधिवक्ता अशोक पांडे ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की। याचिका में, राहुल की सदस्यता लोकसभा द्वारा बहाल किये जाने को चुनौती दी गई है।
याचिका में दावा किया गया है कि अनुच्छेद 102 में शामिल प्रावधानों को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा आठ (3) के साथ पढ़े जाने पर और बी आर कपूर बनाम तमिलनाडु राज्य व अन्य मामले में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा दिये गए निर्णय के अनुसार, दोषसिद्धि और सजा के आधार पर ठहराई गई अयोग्यता तब तक जारी रहेगी, जब तक उसे ऊपरी अदालत द्वारा निरस्त नहीं कर दिया जाता। याचिका में लोकसभा अध्यक्ष, भारत संघ, निर्वाचन आयोग और राहुल गांधी को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका के जरिये चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि राहुल के प्रतिनिधित्व वाली लोकसभा सीट की रिक्ति अधिसूचित की जाए और वहां नये सिरे से चुनाव कराया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि राहुल गांधी ने लोकसभा की अपनी सदस्यता उस वक्त गंवा दी, जब उन्हें मानहानि मामले में दोषी करार दिया गया और दो साल जेल की सजा सुनाई गई तथा ‘‘लोकसभा अध्यक्ष उनकी (राहुल की) सदस्यता बहाल करने में सही नहीं थे।”
याचिका में कहा गया है कि राहुल की सजा पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर याचिकाकर्ता इस अदालत की संविधान पीठ से इस मुद्दे पर निर्णय करने का भी अनुरोध करता है कि क्या एक आरोपी की सजा पर अपीलीय अदालत या किसी अदालत द्वारा रोक लगाई जा सकती है।
इसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति, जिसे कानून के क्रियान्वयन द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया है, उसकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जाती है तो क्या वह संसद/राज्य विधायिका के सदस्य के रूप में चुने जाने या उस पद पर बने रहने के योग्य होगा।