नई दिल्ली। कोयले से मुक्त भूमि, अत्यधिक भार वाले डम्पों और गैर-कोयला धारी भूमि पर कोयला मंत्रालय बड़े पैमाने पर पौधरोपण को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए कोयला क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ लगातार समन्वय कर रहा है।
इस वित्तीय वर्ष के दौरान कोयला कंपनियों ने 2338 हेक्टेयर भूमि पर 43 लाख से अधिक पौधे लगाए। पिछले पांच वर्षों में 2.24 करोड़ से अधिक पौधे रोपण करके 10,000 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र को वृक्षारोपण के अन्तर्गत लाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण की दृष्टि से सतत निकासी के लिए समर्पित छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर का उद्घाटन करते हुए ‘इको-पार्क’ के विकास के माध्यम से कोयला भूमि के सुधार के लिए कोयला कंपनियों के प्रयासों की सराहना की है।
कोयला कंपनियां उपलब्ध भूमि के जैव-सुधार के लिए मिशन मोड पर प्रयास कर रही हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ऐसे पौधरोपण को ‘प्रतिपूरक वनीकरण’ की आवश्यकता के लिए गिना जाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसके फलस्वरूप सभी कोयला कंपनियों ने ‘मान्यता प्राप्त प्रतिपूरक वनीकरण क्षेत्र’ के रूप में अधिसूचना के लिए वनीकरण भूमि को अलग करने के लिए लगभग 2800 हेक्टेयर भूमि की अधिसूचना के लिए संबंधित राज्य वन विभाग को प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस प्रतिपूरक वनीकरण क्षेत्र (एसीए) को कोयला खनन गतिविधियों की शुरूआत करने के लिए कोयला धारी वन भूमि के अपवर्तन की भविष्य की आवश्यकता के लिए गिना जाएगा।
सभी कोयला सहायक कंपनियों के पास जैव-सुधार/रोपण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित प्रकोष्ठ है। कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादक क्षेत्रों में न्यायसंगत परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से दीर्घकालिक उपायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
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