नई दिल्ली। डीजल की बढ़ती कीमत से अब मिलेगी निजात। भारत की दिग्गज पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) ने सोमवार को ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली देश की पहली बस को लॉन्च किया। बता दें यह बस सिर्फ पानी का उत्सर्जन करती है।
आइओसी नवीकरणीय स्रोतों से बिजली का इस्तेमाल कर पानी के कणों को अलग कर 75 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पाद करेगी। यह हाइड्रोजन प्रायोगिक तौर पर दिल्ली में चलने वाली दो बसों में इस्तेमाल किया जाएगा।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इन ग्रीन हाइड्रोजन चालित बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन भारत में जीवाश्म इंधन की खपत रोकने में एक बदलावकारी इंधन की भूमिका निभाएगा।
बता दें इंडियन ऑयल का फरीदाबाद स्थित शोध एवं विकास केंद्र फिलहाल प्रायोगिक तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन के 30 किलोग्राम क्षमता वाले चार सिलेंडर से बस 350 किलोमीटर दूरी तक चल सकती है। इन सिलेंडर को भरने में 10-12 मिनट का समय लगता है।
ये है खासियत
इंधन के तौर पर हाइड्रोजन के इस्तेमाल में खासियत यह है कि इससे सिर्फ पानी का भाप ही उत्सर्जित होता है। हानिकारण उत्सर्जक तत्वों के नदारद होने और ऊर्जा सघनता तिगुनी होने हाइड्रोजन एक स्वच्छ एवं अधिक कारगर विकल्प के तौर पर उभर रहा है।
मंत्री ने बताया कि इस साल के अंत तक इंडियन ऑयल हाइड्रोजन से चलने वाली बसों की संख्या बढ़ाकर 15 की जाएगी। इन बसों को दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में चिह्नित मार्गों पर संचालित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनियां साल 2030 तक सलाना 10 लाख टन का उत्पादन करेंगी। घरेलू स्तर पर हाइड्रोजन की खपत चार गुणा होकर 25-28 टन हो जाने का अनुमान है।
हाइड्रोजन को भविष्य का इंधन माना जा रहा है और यह भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों की दिशा में काफी अहम हो सकता है। 2050 तक हाइड्रोजन की वैश्विक मांग सात गुणा तक बढ़कर 800 टन तक पहुंच सकती है।