शिक्षक संघ की मांग, वार्षिक छुट्टी की जगह कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करें विभाग

बिहार देश
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बेगूसराय (बिहार)। बिहार में छुट्टी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छुट्टी की कटौती वापस होने के बाद शिक्षा‍ विभाग ने बच्‍चों की पढ़ाई तय मानक के अनुसार नहीं होने का मामला उठाया। इसे शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने इसे आधारहीन और तथ्‍यहीन बताया। वार्षिक अवकाश तालिका के बजाय 220 दिन के कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करने की मांग की।

राज्‍यपाल को दिया धन्‍यवाद

मोर्चा के नेता राजू सिंह ने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर को धन्यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि शिक्षकों की मुख्य मांग राज्यकर्मी का दर्जा से ध्यान भटकाने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा नित नया शिगूफा छोड़ा जा रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक दिवस के दिन जो प्रेस नोट जारी किया, उसमें जनता में शिक्षकों और बिहार सरकार को भी नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है।

गलत तर्क दे रहा है विभाग

मोर्चा ने कहा कि विभाग आम जनमानस में ये प्रचारित करने का प्रयास कर रहा हैं कि सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन नहीं होता है। यह अत्यंत ही खेदजनक की बात है। शिक्षकों का मनोबल गिराने जैसा है। विभाग ने शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार एक से पांच तक के प्रारंभिक विद्यालयों के लिए 200 दिन और छह से आठ वर्ग तक के मध्य विद्यालयों के लिए 220 दिन पढ़ाई नहीं होने के तर्क को बल देने के लिये गलत और तथ्यहीन तर्क प्रस्तुत किया है।

अनावश्यक बवाल हो रहा

शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्य सह टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के राज्य संयोजक राजू सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा छुट्टी को लेकर अनावश्यक बवाल मचाया जा रहा है। जनता को गुमराह किया जा रहा है। शिक्षा अधिकार कानून की अनदेखी की जा रही है। जनता को यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा कि शिक्षक छुट्टी के लिए परेशान रहते हैं। बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं। पिछले 10 वर्ष के शैक्षणिक सत्र (अप्रैल से मार्च) का किसी भी जिले से रिपोर्ट मंगवा कर देख लिया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि हर वर्ष न्यूनतम 230 और अधिकतम 253 दिनों तक विद्यालय खुले रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई होती रही है।

गरिमा को आहत नहीं करें

शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि अगले वर्ष से छुट्टी का कैलेंडर जारी नहीं किया जाए। उसकी जगह आरटीई के आलोक में प्रारंभिक विद्यालयों के लिए 200 दिन और मध्य विद्यालयों के 220 दिन के कार्य दिवस का कैलेंडर जारी किया जाए। इससे सारा झंझट ही समाप्त हो जाएगा। विभाग शिक्षकों की गरिमा को आहत नहीं करें। जनता को गुमराह नहीं करें।

संगठन ने बताई स्थिति

  • शिक्षा विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्र को अप्रैल से जनवरी तक ही दिखाया गया है, जबकि शिक्षा विभाग का शैक्षणिक सत्र अप्रैल से मार्च होता है।
  • फरवरी और मार्च 58 दिन में 2023 के पंचांग में 8 रविवार और 6 विभिन्न  पर्व की छुट्टी यानी कि 58-8-6=44 दिन, इन 44 दिनों को शिक्षा विभाग शून्य दिखा रहा है। क्या इन 44 दिनों में पढ़ाई नहीं होती है?
  • शीत लहर, लू, बाढ़ ये प्राकृतिक आपदा है। इसका कोई भरोसा नहीं। किस वर्ष होगी किस वर्ष नहीं, उदाहरण स्वरूप इस वर्ष ही प्रचंड सूखा है, किसी भी जिले में बाढ़ से स्कूल बंद होने की सूचना नहीं है। दूसरी तरफ शीत लहर की छुट्टी अवकाश तालिका में नहीं होती है।
  • स्कूल के भवनों का उपयोग शिक्षा के अलावा किसी भी कार्यक्रम के लिये पूर्णतया प्रतिबंधित हैं तो फिर इसमें सरकार क्यों किसी को ठहरने की व्यवस्था करती है? इसका दोषी शिक्षकों को कैसे ठहराया जा सकता है?
  • हाईस्कूल, इंटरमीडिएट की परीक्षाओं का आयोजन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट स्कूलों में ही होत है। प्रारंभिक विद्यालयों में बोर्ड की परीक्षाओं का आयोजन नहीं होता है।
  • डेस्क और फर्नीचर भी परीक्षा केंद्र के नजदीक के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट स्कूलों से ही लिए जाते हैं, किसी प्रारंभिक स्कूलों से नहीं।
  • वीक्षण कार्य में भी प्रारंभिक स्कूलों से अधिकतम 20 प्रतिशत शिक्षकों को ही लगाया जाता। शेष शिक्षक स्कूल में ही रहते हैं और शिक्षण कार्य करते हैं।

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