कोलकाता। कोल इंडिया (Coal India) के निर्देश के आलोक में कोयला कामगारों का एरियर का भुगतान शुरू हो गया है। एसईसीएल सहित कई कंपनी ने पेमेंट करने के बाद कामगारों को बंधाई दी। हालांकि एरियर मिलने के बाद कामगारों का टेंशन बढ़ गया है। कहीं दोहरी तो कहीं तीन तरफ से मार पड़ी है। खुशी गम में बदल गया है।
जानकारी हो कि कोयला कामगारों का 11वां वेतन समझौता 23 महीने की देरी से हुआ। इस लिहाज से उन्हें इस अवधि की बकाया राशि यानी एरियर का भुगतान किया जाना था। यह राशि 2.50 लाख रुपये से करीब 7.50 लाख रुपये तक थी। चर्चा में यह बात सामने आई थी कि एरियर का भुगतान 4 किस्तों में किया जाएगा। इससे कामगार नाराज हो गए।
कामगारों का कहना था कि अफसरों को पीआरपी का भुगतान एक बार किया जाता है। ऐसे में उन्हें एरियर भी एकमुश्त मिलना चाहिए। कामगारों की भावना का ख्याल करते हुए प्रबंधन ने एरियर का भुगतान एकमुश्त करने का आदेश जारी कर दिया। इसे सितंबर में मिलने वाले अगस्त के वेतन में जोड़कर भुगतान करने का आदेश जारी कर दिया। बीसीसीएल प्रबंधन दो किश्त में एरियर देना चाह रहा था, पर कामगारों के आक्रोश को देखते हुए शांत हो गया।
बहरहाल, एसईसीएल प्रबंधन ने एरियर का भुगतान करने के बाद कामगारों को बधाई दी। सोशल मीडिया पर बताया कि सभी क्षेत्रों के पात्र कामगारों के खाते में 23 महीने के एरियर की राशि जमा कर दी गई है। कंपनी के 37 हजार 417 कामगारों को टैक्स काटने के बाद लगभग 952 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। प्रबंधन ने यह भी बताया है कि समग्र रूप से करीब 16 सौ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसमें 450 करोड़ रुपये की राशि टैक्स के रूप में काटी गई है। अन्य कंपनियों में भी यही पैटर्न अपनाया गया है।
एक साथ एरियर और अगस्त महीने का वेतन मिलने से कामगारों पर दोहरी मार पड़ गई। उनका कहना है कि दोनों राशि को जोड़कर उसपर टैक्स काटा गया है। यह करीब 30 प्रतिशत है। इससे मिली राशि में भारी कटौती हुई है। किसी भी कामगार को बताई गई 7.50 लाख रुपये की राशि नहीं मिली। कामगार वेतन और एरियर को एक साथ मिलाकर कटौती करने को अनुचित बता रहे हैं। उनका कहना है कि सिर्फ एरियर पर 30 प्रतिशत की कटौती होनी चाहिए थी। प्रबंधन ने कामगारों के साथ धोखा किया है।
सुदूर एरिया में कार्यरत कई कामगारों पर तीन तरफ से मार पड़ी है। प्रबंधन ने वेतन और एरियर मिलाकर कटौती कर दिया। पैसा मिलने की जानकारी मिलते ही कर्ज देने वाले महाजन भी टूट पड़े। लगभग पूरी राशि पर हाथ साफ कर दिया। एरियर मिलने की उम्मीद में उन्होंने जो सपने देखें थे, वह टूट गया।
कुछ कामगारों का कहना है कि एरियर के किस्त में मिलने पर यह स्थिति देखने को नहीं मिलती। तब राशि अपेक्षाकृत कम होती। ऐसे में टैक्स कटौती का स्लैब भी वर्तमान से कम होता। उस पर इतनी राशि उन्हें टैक्स के रूप में नहीं देनी पड़ती। फिलहाल एरियर मिलने के बाद कामगारों की खुशी अधिक देर तक नहीं टिक सकी।
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