इसरो वैज्ञानिक डॉ अंगदी रब्बानी ने कॉलेज ऑफ़ हॉर्टिकल्चर के शिक्षक और छात्रों से अनुभव किया साझा

झारखंड
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  • नये कॉलेज के एसोसिएट डीन के रूप में डॉ रब्बानी कर रहे कार्य

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित खूंटपानी (चाईबासा) स्थित नवस्थापित राज्य के एकमात्र कॉलेज ऑफ़ हॉर्टिकल्चर में चन्द्रयान-3 मिशन की सफलता पर समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिक्षकों एवं छात्रों ने कॉलेज के एसोसिएट डीन डॉ अंगदी रब्बानी का स्वागत किया। उन्‍हें सम्मानित किया। मिशन की सफलता पर डॉ अंगदी ने कॉलेज परिसर में टिकोमा का पौधा लगाया।

इसरो से सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ अंगदी रब्बानी वर्तमान में कॉलेज ऑफ़ हॉर्टिकल्चर का नेतृत्व कर रहे हैं। अपने संदेश में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय को इस बात पर गर्व है कि कॉलेज ऑफ़ हॉर्टिकल्चर के नए परिसर के विकास के लिए इसरो के अनुभवी वैज्ञानिक हमारे साथ काम कर रहे हैं। इससे पूर्व बतौर नाहेप कंसलटेंट विश्वविद्यालय परिसर में बायोडाइवर्सिटी पार्क की स्थापना, सब्जी आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली एवं सेब की खेती के शोध को बढ़ावा में इनका उल्लेखनीय सहयोग रहा है। इससे आने वाले वर्षो में राज्य कृषि को एक नयी दिशा मिलेगी।

समारोह में कॉलेज के शिक्षकों एवं छात्रों ने चन्द्रयान-3 मिशन की सफलता पर डॉ रब्बानी को बधाई दी। उन्हें इसरो वैज्ञानिक टीम को कॉलेज की ओर से बधाई संदेश भेजने का आग्रह किया। शिक्षकों एवं छात्रों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाये।

अपने संबोधन में एसोसिएट डीन डॉ अंगदी रब्बानी ने कहा कि मुझे इसरो का वैज्ञानिक होने पर गर्व है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम उतारकर वैश्विक तौर पर असंभव मुकाम को हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया। इसरो वैज्ञानिकों के लगन, कठिन परिश्रम एवं लगातार प्रयासों और देश के प्रति जज्बातों से भारत इस लक्ष्य को हासिल करने वाला विश्व अग्रणी और पहला देश बन गया है।

डॉ रब्‍बानी ने कहा कि इस मिशन की लागत हॉलीवुड फिल्म में किए गए खर्च से काफी कम है। यह सफलता भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनाने वाले इसरो वैज्ञानिकों की टीम के निरंतर प्रयासों के कारण संभव हुई है। यह हमारे इसरो वैज्ञानिकों का राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस सफल लैंडिंग के साथ ही रोवर 14 दिनों तक चंद्रमा की जलवायु एवं मिट्टी की स्थिति और चंद्रमा के कई अन्य मापदंडों (खनिजों की तरह) का अध्ययन करेगा।

डॉ अंगदी रब्बानी ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर), श्रीहरिकोटा में एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया। इसरो में 34 वर्षों तक सेवा की। भारतीय कृषि प्रणाली के फसल क्षेत्र और उत्पादन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग के विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने में योगदान दिया। उन्होंने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की जैव विविधता के संरक्षण का दायित्व बखूबी निभाया। यह वही स्थल है, जहां से भारत के अंतरिक्ष उपग्रह प्रक्षेपण हुआ है।

स्वागत सहायक निदेशक प्रशासन ज्ञान सिंह दोरायगुरु ने किया। संचालन एवं धन्यवाद डॉ अपूर्वा पाल ने दी। मौके पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रतिनिधि विश्वजीत प्रधान के अलावा डॉ श्वेता सिंह, डॉ अर्केंदु घोष, डॉ अमित कुमार, डॉ अदिति गुहा चौधरी, डॉ श्वेता कुमारी, अवधेश कुमार सहित सभी छात्र – छात्राएं भी मौजूद थे।

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