मोर्चा ने गिनाई सरप्लस शिक्षकों की सूची में कई खामियां

झारखंड
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  • सरकार के समक्ष समाधान के लिए बनाई कार्य योजना

रांची। झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक 30 जुलाई को रांची के अरगोड़ा स्थित साईं शांतिकुंज में हुई। इसमें कई बिंदुओं पर चर्चा के बाद सरकार के समक्ष समाधान के लिए कार्य योजना बनाई गई।

बैठक में मोर्चा के संयोजक अमीन अहमद, विजय बहादुर सिंह, प्रवक्ता अरुण कुमार दास, सोमेश मिश्रा सम्मिलित रहे। बैठक की अध्यक्षता आशुतोष कुमार ने की।

मोर्चा के संयोजक अमीन अहमद और प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने कहा कि वर्तमान में अंतर जिला अथवा गृह जिला स्थानांतरण यथाशीघ्र संपन्न करने की मांग मोर्चा बार-बार करती रहा है। क्योंकि इसके बाद ही विद्यालयों में वास्तविक शिक्षक रिक्तियों की गणना करने से जीरो एरर आंकड़ा उपलब्ध किया जा सकता है।

मोर्चा ने कहा कि ट्रांसफर पोर्टल में व्याप्त सभी गड़बड़ियों को दूर करते हुए जिलों के अंदर ट्रांसफर की प्रक्रिया को प्रारंभ किया जाना शिक्षा एवं शिक्षक हित में श्रेयस्कर होगा।

इन मुद्दों पर विचार-विमर्श

1. झारखंड शिक्षक नियुक्ति नियमावली-2012 के पूर्व प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के लिए की गई है, परंतु पीरामल फाउंडेशन के द्वारा निर्मित ट्रांसफर पोर्टल एप पर 2012 के पूर्व सभी शिक्षकों को (कक्षा से 1 से कक्षा 5 तक के लिए) पूर्व प्राथमिक शिक्षक के रूप में दर्शाया गया है। यह पूर्णतया शिक्षकों की नियुक्ति सेवा शर्तों के विरुद्ध है।

2. ट्रांसफर पोर्टल में राज्य के विभिन्न जिलों में दर्शाए जा रहे सरप्लस शिक्षकों में भी अनेक खामियां विभाग के द्वारा की गई है, जिससे राज्य के शिक्षकों में रोष है। सभी 1 से 8 के शिक्षकों को कक्षा 1 से 5 में दर्शाये जाने से पूर्व प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक के विरुद्ध रिक्ति में गलत गणना किया गया है।

3. शत प्रतिशत ऊर्दू बच्चे वाले विद्यालय में एक मात्र पदस्थापित ऊर्दू शिक्षक को भी सरप्लस शिक्षक की सूची में किया गया है।

4. विद्यालयों में सरप्लस शिक्षकों का आधार पूरे विद्यालय के छात्र संख्या के आधार पर होना चाहिए न कि कक्षा 1 से 5 और कक्षा 6 से 8 के आधार पर। विद्यालयों में कक्षा के अनुपात में शिक्षकों की संख्या निर्धारित होनी चाहिए। इसके बाद छात्र संख्या के अनुरूप शिक्षकों की संख्या जैसे अनेकों खामियां वर्तमान ट्रांसफर पोर्टल में व्याप्त है। इसमें अविलंब संशोधन की जरूरत है।