नई दिल्ली। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) और कालकाजी के एसडीएम की अगुआई में दिल्ली के पुल प्रह्लादपुर से 22 बाल मजदूरों को मुक्त कराये गये। इस दौरान मौके पर ही करीब दर्जन भर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सील कर दिया गया।
कालकाजी के एसडीएम के नेतृत्व में बचपन बचाओ आंदोलन ने पुलिस के सहयोग से पुल प्रह्लादपुर के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापे मारे। वहां से 22 बच्चों को बचाया। छुड़ाए गए सभी मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के थे।
बच्चों की उम्र 12 से 17 साल के बीच थी। इन बच्चों से दस से बारह घंटे काम कराया जाता था। मजदूरी के नाम पर इन्हें 50 से 100 रुपये पकड़ा दिए जाते थे। इस कार्रवाई में गैरसरकारी संगठन बाल विकास धारा, श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन, जिला बाल संरक्षण इकाई और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी शामिल थे।
छुड़ाए गए इन सभी बच्चों को चिकित्सा जांच के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति ने उन्हें मुक्ति आश्रम भेज दिया। कालकाजी के एसडीएम ने पुलिस को इन प्रतिष्ठानों के खिलाफ बंधुआ मजदूरी कानून, बाल मजदूरी कानून, किशोर न्याय कानून और ट्रैफिकिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
बचपन बचाओ आंदोलन जून महीने को कार्रवाई माह या ‘एक्शन मंथ’ के तौर पर मना रहा है। इस दौरान राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से बाल मजदूरों से काम करा रहे प्रतिष्ठानों के खिलाफ देश भर में छापे मारे जाएंगे। बच्चों को मुक्त कराया जाएगा।
बीबीए के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा कि बच्चों को बाल मजदूरी और शोषण से निजात दिलाने के लिए बनाए गए सख्त कानूनों के बावजूद नाबालिगों से काम लेने की प्रवृत्ति और उनका शोषण जारी है। यह चिंता की बात है। बच्चों की ट्रैफिकिंग के गंभीर अपराध में जुड़े तत्व दूसरे राज्यों से इन बच्चों को लाते हैं। फिर उन्हें बंधुआ मजदूरी के दलदल में धकेल देते हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि वह अगले संसदीय सत्र में एंटी ट्रैफिकिंग विधेयक सदन में पास कराए।