- बीएयू में बीसवीं बीज परिषद् की बैठक संपन्न
रांची। राज्य में प्रमाणित बीज की आवश्यकता और किसानों द्वारा गुणवत्तायुक्त बीज की मांग को देखते हुए वैज्ञानिकों को प्रजनक बीज उत्पादन में तत्पर एवं विशेष ध्यान देना होगा। गुणवत्तायुक्त बीजोत्पादन कार्यक्रम बीएयू की पहली प्राथमिकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सबसे पहले बीएयू (BAU) बीज परिषद् की बैठक आयोजित की जा रही है। बीएयू अधीनस्थ सभी केन्द्रों के फार्म में आगामी खरीफ मौसम में उचित समय पर बीजोत्पादन कार्यक्रम लागू करना होगा। फार्म की शत-प्रतिशत भूमि का आपसी तालमेल से जेडआरएस एवं केवीके सदुपयोग करें। उक्त बातें 20वीं बीज परिषद् के अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने 4 मई को कही।
प्राथमिकता देने की जरूरत
कुलपति ने बीएयू अधीनस्थ सभी केन्द्रों को 15 अगस्त तक सम्पूर्ण फार्म क्षेत्र को आच्छादित करने का निर्देश दिया। साथ ही, बीज उत्पादन एवं आपूर्ति के लिए बीएयू एवं एनएससी के बीच एमएयू की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीएयू राज्य सरकार के कृषि विभाग का अंग है। कृषि विभाग द्वारा बीज आपूर्ति एवं अन्य कार्यक्रमों में राज्य के एकमात्र कृषि विवि ‘बीएयू’ को पहली प्राथमिकता देनी की आवश्यकता है।
निदेशालय की सकारात्मक पहल
विशेषज्ञ पूर्व प्रधान वैज्ञानिक (आईसीएआर- नेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट, कटक) डॉ एसआर धुआ ने बीएयू द्वारा नई उन्नत फसल प्रजाति का विकास एवं नये प्रभेदों का सफल बीजोत्पादन कार्यक्रम की प्रशंसा की। उन्होंने बीज उत्पादन और बीज उठाव की दिशा में झारखंड सरकार के कृषि निदेशालय की सकारात्मक पहल की प्रशंसा की।
उत्पादन में कमी चिंता का विषय
विशेषज्ञ कार्यपालक सचिव (इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एसोसिएशन) एवं पूर्व उपमहानिदेशक (आईसीएआर) डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि धान एवं दलहन क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से अधिक उत्पादकता के बावजूद विभिन्न फसलों के उत्पादन में कमी चिंता का विषय है। किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराकर इस अंतर को कम करने और लाभप्रदता, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की बात कही।
किसानों की जरूरत को प्राथमिकता
निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने सभी जेडआरएस एवं केवीके वैज्ञानिकों को हाल में रिलीज किये गये विभिन्न फसलों की नई उन्नत किस्मों को प्रत्यक्षण के माध्यम से प्रदर्शित एवं स्थानीय किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने पर बल दिया। उन्होंने पौध प्रजनक को स्थानीय मौसम परिवर्त्तन आधारित शोध को बढ़ावा देने और नई विकसित किस्मों पर उचित ध्यान दिये जाने पर जोर दिया। केन्द्रों में किसानों की आवश्यकता आधारित पौध सामग्री की आपूर्ति को प्राथमिकता देने की बात कहीं।
भुगतान नहीं होना बड़ी समस्या
निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कहा कि बीजोत्पादन में बीज का सही समय पर उठाव एवं बीज मूल्य का भुगतान नहीं होना एक बड़ी समस्या है।
समस्या का जल्द निदान संभव
मौके पर कृषि विभाग के प्रभारी (बीज प्रमाणीकरण एवं बीज जांच) असीम रंजन एक्का ने कहा कि झारखंड को प्रतिवर्ष 5-6 लाख क्विंटल अनुमानित सत्यापित बीज की आवश्यकता है। प्रदेश में सीड विलेज सुषुप्त है, जिसे प्रभावी करने की जरूरत है। प्रदेश में झारखंड राज्य विकास निगम गठित की गयी है। इसके माध्यम से बीज उपलब्धता की समस्या का जल्द निदान संभव होगा।
प्रमाणित बीज मुहैया करायें
उपनिदेशक (कृषि) संतोष कुमार ने कहा कि सारथी पोर्टल के ब्लॉक सीड चैन में पंजीकरण कराकर बीज की जानकारी दी जा सकती है। बीएयू एवं एनएससी मिलकर एमएयू के माध्यम से राज्य को प्रमाणित बीज मुहैया करायें। कृषि निदेशालय शत-प्रतिशत सहयोग करेगा।
बीएयू के सहयोग से मजबूती
एनएससी के क्षेत्र प्रबंधक डॉ आरएस चंदेल ने बताया कि राज्य में किसानों की पारस्परिक सहभागिता से बीजोत्पादन कार्यक्रम उपयोगी साबित होगी। एनएससी द्वारा झारखंड की आवश्यकता का 65-70 प्रतिशत सत्यापित बीज उपलब्ध कराया जाता है। बीएयू के सहयोग से बीज की उपलब्धता को राज्य में मजबूती दी जा सकती है।
उपलब्धियों पर प्रकाश डाला
परिषद् के सदस्य सचिव डॉ एस कर्माकार, निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) ने वर्ष 2022-23 के खरीफ एवं रबी मौसम के फसलों का बीजोत्पादन उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विवि मुख्यालय, गोरियाकरमा, जेडआरएस एवं केवीके द्वारा 243.4 हेक्टेयर भूमि में बीजोत्पादन कार्यक्रम चलाया गया। खरीफ एवं रबी फसलों को मिलाकर 146.3 क्विंटल प्रजनक बीज, 2655.8 क्विंटल आधार बीज, 26.8 क्विंटल प्रमाणित बीज एवं 12.25 क्विंटल सत्यापित बीज और कुल 2841.1 क्विंटल बीज एवं एनएफएसएम पल्स हब के अधीन कुल 3795.45 क्विंटल बीज का उत्पादन किया गया।
प्लांट ब्रीडर डॉ रवि कुमार ने बताया कि विवि मुख्यालय स्थित फार्म में खरीफ एवं रबी मौसम में 10 फसलों के 30 उन्नत किस्मों के 113.3 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया।
मोटे अनाज के बीजों का उत्पादन
19वीं बीज परिषद् का कार्रवाई प्रतिवेदन डॉ सुप्रिया सिंह ने प्रस्तुत की। बताया कि जेडआरएस एवं केवीके द्वारा बीज गुणन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016 से 2021 तक विकसित 10 फसलों के 18 नये उन्नत किस्मों के प्रजनक बीज से कुल 732.16 क्विंटल आधार बीज का उत्पादन हुआ। इन केन्द्रों में मिलेट्स फसल रागी की किस्म बिरसा मडुआ – 3 का 20।1 क्विंटल बीज उत्पादन हुआ। अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष – 2023 में इस किस्म का 52 क्विंटल प्रमाणित बीज उत्पादन का टारगेट रखा गया है।
बीजोत्पादन कार्यक्रमों को अनुमोदन
तकनीकी सत्र में गोरियाकरमा फार्म, तीन जेडआरएस एवं सोलह केवीके के प्रभारियों द्वारा वर्ष 2022-23 के खरीफ एवं रबी फसलों की उपलब्धियों एवं आगामी खरीफ एवं रबी फसलों के बीजोत्पादन के भावी कार्यक्रम को प्रस्तुत किया गया। परिषद् द्वारा बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशालय के वर्ष 2022-23 के खरीफ एवं रबी फसलों की बीजोत्पादन उपलब्धियों एवं वर्ष 2023-24 में खरीफ एवं रबी फसलों के भावी बीजोत्पादन कार्यक्रमों को अनुमोदन दिया गया।