रांची। लंबी बीमारी के बाद महान शिक्षाविद और मानवशास्त्री डॉ करमा उरांव (72 वर्ष) का निधन 14 मई की सुबह हो गया। मानवशास्त्री के रूप में उन्होंने दो दर्जन से अधिक विदेशों की यात्रा की। आदिवासी मुद्दों पर बेबाक तरीके से अपने बातों को रखते थे।
डॉ उरांव BPSC के सदस्य रहे। सरना धर्म कोड के लिए सबसे आगे रहे। CNT SPT एक्ट को मजबूत करने को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे। एंथ्रोपोलॉजी के HOD रहे। सामाजिक विज्ञान के डीन रहे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार सुबह 9 बजे सुबह एदलहातु मसना में आदिवासी पारंपरिक रीति रिवाज से संपन्न होगा।
डॉ उरांव का जन्म गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड अंतर्गत लोंगा महुआटोली में हुआ था। वह अपने पीछे पत्नी शान्ति उरांव, बेटी डॉ नेहा चाला उरांव और एक बेटा शनि उरांव को छोड़ गये। कोरोना में बड़े बेटे धर्मेश उरांव के असमय निधन से वे टूट चुके थे।

श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान, पूर्व विधायक गया गंगोत्री कुजूर, अजयनाथ शहदेव, आदिवासी समाजिक नेता प्रेमशाही मुंडा, अनिल पन्ना, अंतु तिर्की, सरना सामाजिक अगुवा हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए।