नई दिल्ली। बड़ी खबर दिल्ली से आयी है, जहां हाईकोर्ट में बुधवार को 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लेने के आरबीआई के फैसले को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई है।
इस जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है।
जनहित याचिका ये तर्क दिया गया है कि 2016 में छापी गई 2000 रुपये की मूल्य की नोट बाद में मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ बहुत अच्छी स्थिति में है और स्वच्छ नोट नीति के तहत या अन्यथा चलन से वापस लेने की आवश्यकता नहीं है।
पीआईएल में ये भी तर्क दिया गया कि बेहतर सुरक्षा मूल्यवर्ग के साथ अच्छी गुणवत्ता की छपाई के लिए छपाई लागत के रूप में सरकारी खजाने से हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
अगर ऐसे नोटों को बिना किसी वैध वैज्ञानिक कारणों के अनावश्यक रूप से संचलन उपायों से वापस ले लिया गया है तो इन पर लगे हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो जाएंगे।