
रांची/कोलकाता। कोयला खदानों के डिजिटलीकरण के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India) ने शुक्रवार को ‘प्रोजेक्ट डिजिकोल’ लॉन्च किया। कोल इंडिया अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने कोलकाता स्थित कोल इंडिया मुख्यालय में इस प्रोजक्ट को लॉन्च किया। प्रोजक्ट की निगरानी और सहायता के लिए एक ‘डिजिटल वार-रूम’ का शुभारंभ किया। डिजिकोल परियोजना उन्नत डिजिटल समाधानों का उपयोग करके कोल इंडिया के खनन कार्यों को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगी।
एक्सेंचर को सलाहकार बनाया
लॉन्च के साथ डिजिकोल परियोजना कोल इंडिया की 7 कोयला खदानों में लाइव हो गई। इसमें एसईसीएल में गेवरा, दीपका और कुसमुंडा खदानें और एनसीएल में निगाही, जयंत, दुधीचुआ और खड़िया खदानें शामिल हैं। इस परियोजना को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए कोल इंडिया ने सलाहकार के रूप में एक्सेंचर को नियुक्त किया है।
बेहतर बनाने में मदद करेगी
इस अवसर पर कोल इंडिया के अध्यक्ष ने कहा कि डिजिकोल परियोजना कोल इंडिया में डिजिटलीकरण की दिशा मे एक अहम पड़ाव है। यह परियोजना प्रक्रियाओं को और अधिक सक्षम और बेहतर बनाने में मदद करेगी।

भविष्य के लिए मॉडल खदानें
कोल इंडिया के निदेशक (तकनीकी) डॉ बी वीरा रेड्डी ने कहा कि यह गर्व की बात है कि कोल इंडिया अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों के साथ भविष्य के लिए मॉडल खदानें स्थापित कर रही है, ताकि वैश्विक मानदंडों के मुताबिक विकास को बढ़ावा देने और क्षमता व दक्षता में सुधार करने में मदद मिल सके।
कार्यक्रम में ये शामिल हुए
कोल इंडिया के निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) विनय रंजन, निदेशक (व्यवसाय विकास) देबाशीष नंदा, निदेशक (विपणन) मुकेश चौधरी, मुख्य सतर्कता अधिकारी ब्रजेश कुमार त्रिपाठी, एसईसीएल के सीएमडी पीएस मिश्रा, एनसीएल के सीएमडी भोला सिंह, एक्सेंचर के एमडी (रसायन और प्राकृतिक संसाधन) विनोद कुमार और रणजीत साहू, कोल इंडिया, इसकी अनुषंगी कंपनियों एवं एक्सेंचर के वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए।
कोल इंडिया की मदद करेगा
प्रोजेक्ट डिजिकोल मजबूत सर्वेक्षण और योजना के लिए ड्रोन की तैनाती, एआई/एमएल आधारित ड्रिल और ब्लास्ट डिजाइन, भारी मशीनों की उपलब्धता और उपयोग को अधिकतम करने के लिए आईओटी आधारित फ्लीट मॉनिटरिंग सिस्टम, भूमि अधिग्रहण प्रबंधन जैसे डिजिटल पोर्टफोलियो के माध्यम से कार्य दक्षता को बढ़ावा देते हुए समग्र उत्पादन में सुधार के लिए उद्योग की अग्रणी प्रथाओं को लागू करने में कोल इंडिया की मदद करेगा। इस पहल से कोल इंडिया को वित्त वर्ष 2025-26 तक कोल इंडिया लिमिटेड को 1 बिलियन टन (बीटी) कोयला उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।