- धान उत्पादन की नई तकनीक सह उपादान वितरण समारोह का समापन
रांची। बिरसा कृषि विवि के निदेशालय अनुसंधान के अधीन अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार अनुसंधान परियोजना के जनजातीय उपपरियोजना चल रही है। इसके तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण–सह–उपादान वितरण का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह ने किया।
डॉ सिंह ने कहा कि खरीफ 2021 में राज्य में धान का बंपर उत्पादन हुआ। मौसम की बेरुखी की वजह से खरीफ 2022 में धान के रकबा में 9.32 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की कमी हुई। करीब 35 लाख टन कम धान का उत्पादन हुआ। धान झारखंड की प्रमुख फसल है। ऐसी स्थिति में राज्य में मौसम परिवर्तन को देखते हुए किसानों को सीमित स्तर पर एरोबिक विधि से धान की सीधी बुवाई तकनीक को अपनाने की जरूरत है। इससे विषम मौसम में भी किसानों को नुकसान नहीं होगा।
डॉ सिंह ने कहा कि किसानों के खेतों में बीएयू द्वारा विकसित सुगंधित किस्म बिरसा विकास धान-1 का बढ़िया प्रदर्शन देखने को मिला है। इस किस्म की खेती और इसके चावल दाने को बेचकर किसान दोगुनी से अधिक कमाई कर सकते हैं। मौके पर डॉ सिंह ने सभी किसानों को चावल सुधार परियोजना के अधीन बैटरी चालित स्प्रे मशीन उपादान स्वरूप प्रदान किया।
प्रशिक्षण के दौरान परियोजना प्रभारी (चावल सुधार) डॉ कृष्णा प्रसाद ने झारखंड में धान उत्पादन से सबंधित नई तकनीकी, डॉ एखलाख अहमद ने धान उत्पादन की बढ़ोतरी में फसल प्रजाति की भूमिका, डॉ वर्षा रानी ने सुखाड़ में धान फसल का प्रबंधन, डॉ पीबी साहा ने धान उत्पादन में माइक्रोन्यूट्रीएंट का महत्व, डॉ रबिन्द्र प्रसाद ने धान फसल में कीट व्याधि का प्रबंधन एवं डॉ एमके बर्नवाल ने धान फसल में प्रमुख रोगों का प्रबंधन के बारे में बताया।
डॉ कृष्णा प्रसाद ने बताया कि इस कार्यक्रम में गुमला जिले सिसई के प्रखंड, खूंटी जिले के अड़की प्रखंड एवं रांची जिले के माडर, इटकी, कांके एवं सोनाहातू प्रखंड के 12 गांवों से 50 किसानों ने भाग लिया। इन किसानों से खरीफ-2022 में बिरसा विकास धान-1 किस्म पर कराये गये अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण के प्रदर्शन एवं अनुभवों को साझा किया गया। इस सुगंधित धान किस्म को किसानों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।