नहीं रहे सरना धर्मगुरु और झारखंड आंदोलनकारी डॉ प्रवीण उरांव

झारखंड
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रांची। नहीं रहे राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु, झारखंड आंदोलनकारी सह आजसू के संस्थापक सदस्य डॉ प्रवीण उरांव। मंगलवार को रांची स्थित उनके आवास में हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया। निधन से कुछ घंटों पहले डॉ उरांव ने फेसबुक में आदिवासी समाज के लिए अपना संदेश लिखा था।

इसमें उन्होंने सरहुल का महत्व बताया है। साथ ही सरना झंडा की पवित्रता का जिक्र किया है। इसके अलावा पत्नी प्रोफेसर मंती उरांव के साथ घर (काठीटांड़ रातू) में सरहुल को लेकर बनाये पकवान का फोटो भी शेयर किया।

डॉ उरांव वर्तमान में संजय गांधी मेमोरियल कॉलेज रांची के परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्यरत थे। वे राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु भी थे। इस संबंध में स्व प्रवीण उरांव के जीजा सुखदेव भगत ने बताया कि इनका पैतृक घर रातू महाराजगढ़ काठीटाड़ है। इनका मकान गुमला शहर के लकड़ी डीपू केओ कॉलेज के समीप भी है।

उन्होंने अपने कॉलेज जीवन में डॉ देवशरण भगत, प्रभाकर तिर्की समेत आठ-नौ सदस्यों के साथ मिल कर आजसू पार्टी का गठन किया था। उन्होंने झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी। वर्तमान में डॉ उरावं की पत्नी मंती उरांव गुमला बीएड कॉलेज में प्रोफेसर हैं।

डॉ उरांव के भांजे संदीप भगत ने बताया कि अंतिम संस्कार काठीटांड़ में होगा। डॉ उरांव की पत्नी प्रो मंती उरांव बीएड के विद्यार्थियों को लेकर शैक्षणिक भ्रमण पर दार्जिलिंग गयी हैं। बुधवार को उनके लौटने पर पोस्टमार्टम होगा। उनका पार्थिव शरीर रिम्स में रखा गया है। इधर निधन की खबर मिलते ही उनके जानने वालों में शोक की लहर फैल गयी है।