वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। टीबी (TB) रोग खत्म करने में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ डाक विभाग भी अहम भूमिका निभा रहा है। दरअसल, डाकिये टीबी मरीजों के बलगम के नमूने तेजी से स्वास्थ्य विभाग के लैब तक पहुंच रहे हैं। इससे मरीजों की पहचान और उनके त्वरित उपचार में भी तेजी आई है। इसके अलावा तमाम चिन्हित एवं उपचारित क्षय रोगियों को 500 रुपए प्रतिमाह का भुगतान भी डीबीटी के माध्यम से उनके इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक खातों में किया जा रहा है।
उक्त जानकारी वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने दी। उन्होंने बताया कि भारतीय डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (उत्तर प्रदेश) ने क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने की दिशा में संयुक्त पहल की है। इसके तहत टीबी रोगियों के स्पुटम एवं अन्य सैम्पुल को डिजिगनेटेड माइक्रोस्कोपी सेंटर (डीएमसी) से पैकिंग कर डाक विभाग के माध्यम से जनपद के संबंधित सीबीनाट (कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिकएसिड एम्प्लिफिकेशन टेस्ट) लैब/ कल्चर एण्ड डीएसटी (ड्रग सेंसिटिविटी टेस्टिंग) लैब तक पहुंचाया जाता है। दूरदराज के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से नमूनों को प्रयोगशाला तक 24 से 48 घंटे के भीतर डाकिये पहुंचाते हैं, ताकि इनकी शुद्धता बनी रहे।
पोस्टमास्टर जनरल ने बताया कि वाराणसी परिक्षेत्र में अब तक 13,390 नमूनों को एकत्र कर डाकिया टेस्टिंग लैब तक पहुंचा चुके हैं। वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन वाराणसी जनपद में 21, भदोही में 2, चंदौली में 8, जौनपुर में 25, गाजीपुर में 24 और बलिया जनपद में 24 डाकघरों को बुकिंग के लिए अधिकृत किया गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 4 जनपदों (लखनऊ, चंदौली आगरा और बदायूं) में ये पायलट प्रोजेक्ट 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ हुआ, जो कि बाद में सभी जनपदों में 1 मई, 2020 से विस्तारित कर दिया गया।
राजधानी लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के तत्कालीन निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ संतोष गुप्ता के साथ इस साझा पहल का शुभारम्भ किया था।