Bird Flu : फैल रहा है बर्ड फ्लू, इन्‍हें अधिक खतरा, हो जाएं सावधान

झारखंड
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  • डीन वेटनरी एवं पोल्ट्री विशेषज्ञ से खास बातचीत डॉ सुशील प्रसाद

रांची। एक हफ्ते पहले बोकारो जिले में बर्ड फ्लू (Bird Flu) के कारण मुर्गियों और बत्तखों की मौत हुई थी। अब झारखंड की राजधानी रांची में मृत मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। रांची के जेल मोड़ में कुछ मुर्गियों की मौत के बाद पोल्ट्री के सैंपल भोपाल स्थित रांष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजे गए थे, जिसमें एवियन इन्फ्लुएंजा (एच5एन1) की पुष्टि हुई है। केंद्र सरकार ने भी रांची में मुर्गियों में एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1) के प्रकोप की पुष्टि की है। इसके नियंत्रण और रोकथाम के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया है।

संक्रमित इलाके की निगरानी जरूरी

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डीन वेटनरी एवं पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ सुशील प्रसाद ने बताया कि ऐसे हालात में संक्रमित इलाके की निगरानी और संक्रमित पोल्ट्री तक आम आदमी की पहुंच को प्रतिबंधित करने की जरूरत है। साथ ही पक्षियों को नष्ट करने, मृत पक्षियों के निपटान समेत सुरक्षा के सभी उपाय अपनाने की आवश्यकता है।

संक्रमित इलाके के एक किलोमीटर के अंदर के मुर्गियों को मारने के उपाय और साथ ही 10 किमी के दायरे के क्षेत्रों में भी निगरानी की जानी होगी। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह बोकारो जिले में कड़कनाथ मुर्गे में बर्ड फ्लू फैलने की पुष्टि के बाद मुर्गियों और बत्तखों समेत कुल 3,856 पक्षियों को मार दिया गया था।

बढ़े जा रहे हैं मामले

भारत में बर्ड फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बर्ड फ्लू (Bird Flu) एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। 

इंसानों के लिए भी खतरनाक

डॉ सुशील प्रसाद बताते है कि बर्ड फ्लू एक वायरल इंफेक्शन की तरह है। यह ना सिर्फ पक्षियों, बल्कि दूसरे अन्य जानवरों और इंसानों के लिए भी उतना ही खतरनाक है। WHO के मुताबिक, H5N1 भी इन्फ्लुएंजा वायरस का एक प्रकार है, जो बेहद संक्रामक होता है और पक्षियों में एवियन इंन्फ्लुएंजा (Bird Flu) बीमारी को जन्म देता है। हालांकि, इंसानों में H5N1 के संक्रमण के मामले कभी-कभी सामने आते हैं, लेकिन इसका एक इंसान से दूसरे इंसानों में फैलना मुश्किल होता है।

बर्ड फ्लू के लक्षण

बर्ड फ्लू होने पर कफ, डायरिया, बुखार, सांस से जुड़ी दिक्कत, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बहना और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है। इन लक्षणों के दीखने और बर्ड फ्लू की चपेट या संपर्क में आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

मनुष्यों में संक्रमण के लक्षणों में पीठ के ऊपरी हिस्से में गंभीर दर्द, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सर्दी और थूक में खून शामिल हैं। ऐसे में मृत पक्षी देखे जाने पर लोगों को इसकी सूचना देने की जरूरत है।

क्यों होता है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू (Bird Flu) कई तरह के होते हैं। हालांकि H5N1 पहला ऐसा एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस है, जो इंसानों को संक्रमित करता है। इसका पहला मामला 1997 में हॉन्गकॉन्ग में आया था। उस समय बर्ड फ्लू के प्रकोप को पोल्ट्री फार्म में संक्रमित मुर्गियों से जोड़ा गया था।

डॉ सुशील प्रसाद

ये खाने से संक्रमण संभव

H5N1 प्राकृतिक रूप से पक्षियों में होता है। लेकिन ये पालतू मुर्गियों में आसानी से फैल जाता है। ये बीमारी संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से होता है। संक्रमित मुर्गियों के 165ºF पर पकाए गए मांस या अंडे के सेवन से बर्ड फ्लू नहीं फैलता है, लेकिन संक्रमित मुर्गी के अंडों को कच्चा या उबालकर नहीं खाना चाहिए।

इन्‍हें बर्ड फ्लू का खतरा

H5N1 में लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता होती है। संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है। दूषित सतहों को छूने से ये संक्रमण फैल सकता है। इसके फैलने का सबसे ज्यादा खतरा मुर्गीपालन से जुड़े लोगों को होता है। इसके अलावा संक्रमित जगहों पर जाने वाले, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले, कच्चा या अधपका मुर्गा-अंडा खाने वाले या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों को भी बर्ड फ्लू हो सकता है। 

क्या है इलाज

अलग-अलग तरह के बर्ड फ्लू (Bird Flu) का अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं लेनी जरूरी होती हैं। बर्ड फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा उसके संपर्क में आए घर के अन्य सदस्यों को भी ये दवाएं लेने की सलाह दी जाती है, भले ही उन लोगों में बीमारी के लक्षण ना हों।

कैसे करें बचाव

इन्फ्लूएंजा से बचने के लिए डॉक्टर फ्लू की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा लोग खुले बाजर में जाने, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने और अधपका चिकन खाने से बचें। लोग अपने आपको हाइजीन बनाए रखें और समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें।