रांची। झारखंड के सरकारी स्कूलों का भ्रमण राज्य स्तरीय टीम की थी। इसमें कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हुए। इसके बाद झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् की निदेशक किरण कुमारी पासी ने कई निर्देश दिए। इस बाबत उन्होंने 22 फरवरी ’23 को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है।
निदेशक ने पत्र में लिखा है कि राज्यस्तरीय टीम द्वारा प्रत्येक माह राज्य के सभी जिलों के विद्यालयों और प्रखंड एवं जिला कार्यालयों का अनुश्रवण किया जा रहा है। टीम द्वारा अपने भ्रमण के दौरान पाये गये तथ्यों की जानकारी राज्य स्तर पर साझा की जा रही है।
इसमें निम्नवत क्षेत्र में विशेष कार्य शीघ्रताशीघ्र और निरंतर अनुश्रवण करने की आवश्यकता है। उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर नियमित अनुश्रवण एवं समीक्षा की जाये। विद्यालय स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित की जाये।
कार्यपुस्तिका पैकेट में मिली
टीम द्वारा जानकारी दी गई है कि उक्त कार्यक्रम के लिए आपूरित सामग्रियों यथा-शिक्षक हस्तपुस्तिका एवं छात्र कार्यपुस्तिका विद्यालयों में उपलब्ध है। हालांकि कई विद्यालयों में यह पैकेट में ही रखी हुई है। कई विद्यालयों में वितरित तो की गई है, परन्तु शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा सीमित उपयोग किया जा रहा है, जो कि चिंताजनक है। निर्देशित किया जाता है कि निरंतर क्षेत्र भ्रमण करते हुए इसका उपयोग सुनिश्चित कराया जाये।
सीमित उपयोग हो रहा
ज्ञानसेतु कार्यक्रम के लिए भी कक्षा 4 से 8 के लिये कार्यपुस्तिका आपूरित की गई है, परन्तु इसका सीमित उपयोग विद्यालय स्तर पर हो रहा है। यह एक गंभीर विषय है। चूंकि यह कार्यक्रम निदानात्मक शिक्षा के अन्तर्गत है। अतः इसका निरंतर अनुश्रवण किया जाये।
लैब का उपयोग नहीं
राज्य के 525 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में समेकित गणित एवं विज्ञान लैब की स्थापना की गई है। टीम द्वारा ऐसे कुछ विद्यालयों का भ्रमण किया गया है, परन्तु इसका उपयोग शिक्षकों के द्वारा प्रारंभ नहीं किया गया है। विदित हो कि लैब पर सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। सभी विद्यालयों को एक-एक पैन ड्राईव और हस्तपुस्तिका भी उपलब्ध करायी गई है, ताकि शिक्षक लैब का उपयोग सुनिश्चित कर सके।
पत्रिका का वितरण नहीं
टीम द्वारा जानकारी दी गई है कि मासिक पत्रिका पंख का वितरण समय पर विद्यालयों को नहीं किया जा रहा है। या तो पत्रिका जिला स्तर पर अथवा प्रखंड स्तर पर रखी हुई है। विद्यालयों में भी यदि उपलब्ध कराया गया है तो बच्चों को नहीं दी जा रही है। यह एक चिंतनीय पक्ष है। पंख पत्रिका की प्राप्ति जिला स्तर पर होते ही एक सप्ताह के अन्दर विद्यालय में वितरण सुनिश्चित की जाये। निरंतर अनुश्रवण के माध्यम से बच्चों के बीच उपलब्धता सुनिश्चित की जाये।
पुस्तकालय का उपयोग नहीं
विद्यालयों में पुस्तकालय की स्थिति दयनीय है। इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। राज्य से उपलब्ध की जा रही पुस्तक भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं है अथवा अभी भी पैकेट में बन्द है। हालांकि कुछ विद्यालयों के पुस्तकालयों की टीम द्वारा प्रशंसा भी की गई है।