जैव प्रौद्योगिकी से निम्‍न आय वर्ग को अधिक लाभ पहुंचाने की जरूरत

झारखंड
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  • केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्‍थान में अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक

रांची। झारखंड के रांची जिले के नगड़ी स्थित केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्‍थान में अनुसंधान सलाहकार समिति की 50वीं बैठक 16 जून को हुई। इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी पर विचार मंथन सत्र का आयोजन भी किया गया। बैठक में 13 संचालित और 2 संपन्‍न परियोजनाआों की समीक्षा की गई। साथ ही, 19 अनुसंधान संकल्‍पना नोट पर भी चर्चा की गई। बैठक की अध्‍यक्षता बि‍रसा कृषि विवि के कुलपति प्रो ओंकार नाथ सिंह ने की। डॉ एन कृष्‍ण कुमार (अध्‍यक्ष, आरएसी, एसबीआरएल, बेंगलूर) को विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया था।

बैठक के आरम्‍भ में संस्‍थान के निदेशक डॉ के सत्‍यानारायण ने अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्‍तुत किया। उन्‍होंने कहा कि संस्‍थान में तसर रेशम के उप उत्‍पाद/अवशिष्‍टों द्वारा मूल्‍यवर्धन की दिशा में कार्य प्रगति पर हैं। इससे भविष्‍य में अतिरिक्‍त आय के साधन उपलब्‍ध होंगे।

आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ एन कृष्‍ण कुमार ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी के बारे में अब आम धारण बदल रही है। हमें अपने निम्‍न आय वर्ग का सहयोग करना होगा। उन्‍हें अधिक से अधिक लाभान्वित करने पर अपने अनुसंधानों को केंद्रित करना होगा। रेशम वस्‍त्र के उत्‍पादन लागत, प्रौद्योगिकी लागत को कम करने की दिशा में भी अनुसंधान करने की आवश्‍यकता है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्‍ली से उपस्थित सलाहकार डॉ असलम ने कहा कि अब हम प्रौद्योगिकी विकास पर फोकस कर रहे हैं। स्‍टार्टअप के माध्‍यम से रेशम उद्योग को काफी आगे ले जाया जा सकता है। हमें समय की मांग के अनुरूप अनुसंधान परियोजनाएं प्रतिपादित करनी होगी। 

बीएयू कुलपति ने कहा कि हमें जैव प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी को अनुसंधान के क्षेत्र में अद्यतित करना होगा। इसके लिए युवा वैज्ञानिकों को नवीनतम टूल्‍स का उपयोग करते हुए अनुसंधान करने चाहिए, ताकि इस उद्योग से जुड़ी गरीब एवं आदिवासी आबादी को सीधा लाभ मिल सके। जैव प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से रेशम उद्योग के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्‍थान का बिरसा कृषि विवि और तसर विकास संघ, देवघर के साथ तसर क्षेत्र में अनुसंधान एवं विस्‍तार पर दो समझौते किए गए। इस दौरान चार तकनीकी प्रसार बुलेटिन का विमोचन भी किया गया।

इस अवसर पर डॉ सुभाष नायक वी (निदेशक, केन्‍द्रीय रेशम प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्‍थान, बेंगलूर), डॉ नितिन कुलकर्णी (निदेशक, वन उत्‍पादक संस्‍थान, रांची), डॉ अरुणव पटनायक (निदेशक, आईआईएबी, रांची), डॉ पीके मिश्रा (रिटायर निदेशक, केन्‍द्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूर), डॉ एन कुदादा (रजिस्‍ट्रार, बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय, रांची), डॉ शमशाद आलम (प्रदान, झारखंड), निरंजन तिर्की (उप निदेशक, रेशम निदेशालय, झारखंड) और डॉ एस मंथिरा मूर्ति (वैज्ञानिक-डी, केन्‍द्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलूर) भी उपस्थित थे। संचालन वैज्ञानिक-डी श्रीमती सुस्मिता दास ने किया।