Jharkhand Education News : खुलेंगे मर्जर में बंद हुए सरकारी स्‍कूल, मांगी गई सूची

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  • झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् की निदेशक ने उपायुक्‍तों को लिखा पत्र

रांची। झारखंड के विभिन्‍न जिलों में मर्जर के दौरान बंद हुए सरकारी स्‍कूल खोले जाएंगे। इसकी सूची उपायुक्‍तों से मांगी गई है। इस बाबत झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् की निदेशक किरण कुमारी पासी ने 24 फरवरी ’23 को सभी उपायुक्त को पत्र लिखा है।

परियोजना निदेशक ने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2016-17 और उसके बाद विभिन्न जिलों में 4096 विद्यालयों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा द्वारा निर्धारित मानक एक किलोमीटर के दायरे में एक प्राथमिक विद्यालय के स्थान पर एक से अधिक प्राथमिक विद्यालय रहने अथवा एक ही परिसर में एक से अधिक विद्यालय संचालित रहने के कारण प्रशासनिक एवं भौगोलिक रूप से मर्ज कर दिए गए है।

इसी तरह ऐसे मध्य विद्यालय जो निर्धारित 3 किलोमीटर के परिधि में एक से अधिक विद्यालय रहने और छात्र संख्या जिन विद्यालयों में नगन्य थी, वैसे विभिन्न जिलों के 527 विद्यालयों को अवक्रमित कर प्राथमिक विद्यालय बनाया गया।

ऐसे मध्य विद्यालय जो निर्धारित 3 किलोमीटर के परिधि में एक से अधिक विद्यालय रहने और छात्र संख्या जिन विद्यालयों में नगन्य थी, वैसे विभिन्न जिलों के 527 विद्यालयों को अवक्रमित कर प्राथमिक विद्यालय बनाया गया।

विभागीय मंत्री के समक्ष विभिन्न जिलों के जनप्रतिनिधियों द्वारा बताया गया है कि इन मर्जर होने वाले विद्यालयों में से कई ऐसे विद्यालय मर्ज हो गए है, जो भोगोलिक दृष्टिकोण से कठिन क्षेत्र में हैं।

ऐसे विद्यालयों में मर्जर हो गया है, जहां मर्ज किए गए विद्यालयों के बच्चों को जाने में अत्याधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मर्ज / अवक्रमित किए गए विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को दुर्गम क्षेत्रों अथवा राष्ट्रीय / राज्य मार्गों को पार कर विद्यालयों जाना पड़ता है, जिसके कारण विशेष कर छोटे बच्चों एवं छात्राओं कि सुरक्षा प्रभावित होती है।

उक्त के आलोक में कहना है कि सभी जिलों के उपायुक्त छात्र हित में अपने जिले के वर्ष 2016-17 एवं उसके बाद मर्ज किए गए विद्यालयों की समीक्षा अपने स्तर से एक माह के अंदर कराते हुए यह देख ले कि‍ अगर ऐसा कोई विद्यालय जो पूर्व में मर्ज अथवा अवक्रमित किया गया हो और इस मर्जर के कारण संबंधित विद्यालय के छात्र-छात्रायें को पठन-पाठन में कठिनाई हो रही हो।

ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर इसकी सूची कारणों सहित निदेशक प्राथमिक शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक को उपलब्ध कराने का कष्ट करे, ताकि इसपर सरकार के स्तर से इन्हें पुनः खोलने के संबंध में विचार किया जा सके।