रांची कृषि महाविद्यालय के पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने उत्साह एवं उल्लास से बीते लम्हों को किया याद

झारखंड
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  • महाविद्यालय में 14वां वार्षिक एल्युमनी मीट का आयोजन

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित रांची कृषि महाविद्यालय (आरएसी) का दो दिवसीय 14वां वार्षिक एल्युमनी मीट (एरेक) शनिवार को शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि झारखंड लोक सेवा आयोग की अध्‍यक्ष डॉ नीलिमा केरकेट्टा ने किया। मौके पर आरएसी की छात्रा रहीं डॉ केरकेट्टा ने महाविद्यालय के प्रति अपनी भावना एवं उदगार को किया।

कृषि विभाग में काम नहीं करने का मलाल

डॉ केरकेट्टा ने कहा कि छात्र जीवन में आगे देखने और आगे की सोचने में इस महाविद्यालय का माहौल एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन का बड़ा योगदान रहा है। कृषि क्षेत्र में पीएचडी तक की उच्च शिक्षा हासिल की, लेकिन उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में कृषि विभाग में कार्य नहीं करने का मलाल रहा है। उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय ने विपरीत परिस्थिति में नहीं डरने और किसी डर से कार्य नहीं छोड़ना सिखाया। हमारा मानना है कि अपने विश्वास एवं लगन से सफलता मिलती है। जीवन में चुनौती से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इसमें गंतव्य का बड़ा महत्व है, जो हमें यहां जीने को मिला।

नए कॉलेज का संचालन संविदा शिक्षकों से

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि रांची कृषि महाविद्यालय अब कृषि संकाय के नाम से जाना जाता है। विगत 6 वर्षो में संकाय के अधीन 5 नये महाविद्यालय जुड़े है। नये महाविद्यालयों का संचालन 200 से अधिक संविदा शिक्षकों पर निर्भर है। यह विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी समस्या है। इससे गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि नये एवं पुराने महाविद्यालयों के विद्यार्थी काफी मेधावी एवं मेहनती है। जिन्हें पूर्ववर्त्ती वरीय विद्यार्थियों के सानिध्य, स्नेह, मार्गदर्शन एवं सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने टीएनएयू एवं बीएचयू की तरह कृषि संकाय में पूर्ववर्त्ती छात्रों के सहयोग से अतिथि गृह की स्थापना में सहयोग देने की अपील की। साथ ही जेपीएससी अध्यक्ष से शिक्षकों/वैज्ञानिकों के प्रमोशन एवं बहुतायत खाली पदों पर नियुक्ति में सकारात्मक सहयोग देने का अनुरोध किया।

उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए सम्‍मानित

इस अवसर पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल एवं वरीय पूर्ववर्त्ती छात्र अतिथि डॉ एनपी सिंह एवं डॉ बीके सिंह ने भी अपने विचारों को साझा किया। मौके पर पूर्ववर्त्ती छात्रों के समूह ‘एरेक’ के सौजन्य से अकादमिक क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए सीरी कलाम एवं सुकिया परवीन को मोमेंटो, सर्टिफिकेट एवं 2 हजार पारितोषिक चेक देकर प्रो. एमए मोहसिन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कुलपति डॉ ओएन सिंह ने स्पोर्ट्स  में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पायल मार्शल सोरेन एवं अंजेल शुशान्ति पूर्ति और कल्चरल गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए धनंजय एवं अनिपा लकड़ा को मोमेंटो, सर्टिफिकेट एवं 2 हजार पारितोषिक चेक देकर डॉ डीएन झा मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया।

बेहतरी के लिए ऐरक सतत सक्रिय

स्वागत भाषण में एरेक के अध्यक्ष डॉ अब्दुल वदूद ने बताया कि 1955 में स्थापित रांची कृषि महाविद्यालय ने करीब 68 वर्षों के सफर में करीब 65 बैच को मानद उपाधि दी है। महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए एरेक सतत सक्रिय दे रहा है। मौके पर उन्होंने एरेक के वार्षिक प्रतिवेदन एवं आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।

200 लोगों ने भाग लिया

कार्यक्रम का संचालन रेडियो हरियाली समन्यवयक शशि सिंह और धन्यवाद एरेक सचिव डॉ परवेज आलम ने दिया। मीट में पूर्ववर्त्ती छात्रों में डॉ पीएन वर्मा, डॉ केके सहाय, डॉ एके सरकार, डॉ आरएस यादव, डॉ केडी सिंह एवं कृषि विभाग के डॉ एमएसएएम शिवा, उमेश प्रसाद, मुकेश सिन्हा, संतोष कुमार, आशा गुप्ता, संतोष लकड़ा सहित करीब 200 लोगों ने भाग लिया।

विशेष व्याख्यान का आयोजन 

एल्युमनी मीट में आईसीएआर-नाहेप कास्ट परियोजना के सौजन्य से ‘वैश्विक जलवायु परिवर्त्तन एवं इसका कृषि खेती प्रणाली पर प्रभाव’ विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता पूर्ववर्त्ती एल्युमनाई 1968 बैच के डॉ बीके सिंह थे। मौके पर उन्होंने वैश्विक जलवायु परिवर्तन का भारतीय कृषि प्रणाली पर प्रभाव, इनका प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान उपकरण एवं मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि परामर्श सेवा पर प्रकाश डाला।

कार्यकारणी की वार्षिक बैठक

मीट समारोह के दौरान एरेक अध्यक्ष डॉ अब्दुल वदूद की अध्यक्षता में कार्यकारणी की वार्षिक बैठक में राज्य में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन एवं बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

समारोह के दौरान पूर्ववर्ती छात्रों ने उत्साह, उमंग एवं उल्लास के साथ महाविद्यालय में बिताये। सुनहरे पलों और लम्हों एवं खट्टी मीठी यादों और अपने वर्तमान कार्य क्षेत्र के अनुभवों को साझा किया। देर शाम महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों द्वारा मनमोहक लोक गीत एवं लोक नृत्य आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का पूर्ववर्ती छात्रों ने लुत्फ़ उठाया।