
नई दिल्ली। महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए बुरी खबर है. हर मोर्चे पर अभी उसे परेशानियों का सामना कर पड़ेगा. 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 5 बार रेपो रेट में वृद्धि करते हुए इसे 6.25 फीसदी तक पहुंचा दिया.
जानकारों का अनुमान है कि अभी रेपो रेट में और वृद्धि की जाएगी, भले ही यह उतनी अधिक न हो, जितनी पिछली कुछ बार में हुई है. अब आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इन कयासों पर लगभग मुहर लगा दी है.
13 जनवरी 2023 को दिए अपने एक बयान में दास ने कहा है कि बहुत अधिक संभावना है कि दुनियाभर में लंबे समय तक ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी. उन्होंने कहा, “अगर भू-राजनीतिक विवाद जारी रहते हैं, तो एक लंबे समय तक दुनियाभर में महंगी दरों का दौर जारी रह सकता है.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत में भी ऐसी स्थिति बनी रहेगी, तो उन्होंने कहा, “भारत भी दुनिया का हिस्सा है.” हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इसे फरवरी में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में होने वाले किसी फैसले की भविष्यवाणी न समझा जाए.
बता दें कि आरबीआई की एमपीसी ही रेपो रेट में उतार-चढ़ाव तय करती है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 6 फीसदी के आसपास की मुख्य महंगाई दर अच्छी स्थिति नहीं है.
उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति थोड़ी सुधरी है, लेकिन अब भी संकट पूरी तरह से टला नहीं है. बकौल गवर्नर, इस पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत है. हालांकि, उनका यह भी मानना है कि आपूर्ति श्रृंखला में आ रही परेशानियों के कम होने और मौद्रिक नीति के स्तर पर लिए गए फैसले एकसाथ मिलकर महंगाई के दबाव को कम कर सकते हैं.
आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि अभी महंगाई के 4 फीसदी वाले लक्ष्य में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अभी गोलपोस्ट (लक्ष्य) में बदलाव करना जल्दबाजी होगी और 2 फीसदी की ऊपर-नीचे की छूट आरबीआई को काफी फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है.
बता दें कि, आरबीआई का प्रमुख काम महंगाई को काबू करना है. इसके लिए 4 फीसदी का टारगेट फिक्स किया गया है. यानी महंगाई दर में 4 फीसदी प्रति वर्ष की वृद्धि संतोषजनक है. इसमें 2 फीसदी अधिक और 2 कम का स्कोप दिया गया है. कुल जमा यह कि अगर महंगाई हर साल 2-6 फीसदी के दायरे में रहती है तो यह चिंता का विषय नहीं होगा.