- बीएयू में संख्यिकीय टूल्स के प्रयोग पर तीनदिवसीय कार्यशाला शुरू
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा है कि वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने में सांख्यिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सांख्यिकीय टूल्स बड़े डाटा सेट को प्रभावी ढंग से मैनेज करते हैं और डाटा प्रोसेसिंग आसान हो जाता है। वह 5 जनवरी को को रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय में ‘स्टैटिसटिकल पैकेज फॉर सोशल साइंसेज (एसपीएसएस) सॉफ्टवेयर के प्रयोग द्वारा बेसिक डाटा एनालिसिस’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
कुलपति ने कहा कि एसपीएसएस सॉफ्टवेयर संख्यात्मक और गुणात्मक दोनों प्रकार के डाटा के लिए उपयोगी है और विश्वसनीय एवं त्वरित उत्तर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा महाविद्यालय में कार्यरत वरिष्ठ शिक्षकों और अवकाश प्राप्त शिक्षकों को मिलकर संकाय में स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति का मार्ग सुगम बनाने का प्रयास करना चाहिए।
प्रसिद्ध पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ और बीएयू के के पूर्व अनुसंधान निदेशक डॉ डीके सिंह द्रोण ने कहा कि डाटा प्रसंस्करण और विश्लेषण के लिए बहुत से अच्छे स्टैटिसटिकल सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। सही निष्कर्ष के लिए शोधार्थियों को अपने शोध प्रयोगों की डिजाइनिंग बहुत सावधानी से करनी चाहिए। विश्वविद्यालय के नए शिक्षक और वैज्ञानिकों को सांख्यिकीय प्रशिक्षण के लिए भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (नई दिल्ली) भेजा जाना चाहिए। पशु आनुवंशिकी विभाग को ऐसी कार्यशाला नियमित रूप से आयोजित करनी चाहिए।
पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पशु आनुवंशिकी विभाग के मॉलिक्यूलर एवं साइटोजेनेटिक्स प्रयोगशाला को शीघ्र ही फंक्शनल बनाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है।
वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने कहा कि अग्रणी कृषि शोध संस्थानों में प्रशिक्षण और कार्यशाला में भाग लेने को इच्छुक पीजी विद्यार्थियों और शिक्षकों को नाहेप परियोजना द्वारा हर संभव मदद और वित्तीय सहायता दी जाएगी।
कार्यशाला की समन्वयक डॉ नन्दनी कुमारी ने धन्यवाद किया। कहा कि प्रतिभागियों को शोध समस्याओं के तार्किक और वैज्ञानिक निदान में मदद मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजरी पांडेय ने किया।
कार्यशाला की योजना और डिजाइनिंग पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद के मार्गदर्शन में विभाग के शिक्षकों डॉ नंदनी कुमारी, डॉ अबसार अहमद, डॉ थानेश उरांव और डॉ मंजरी पांडेय द्वारा तैयार की गयी थी।