JHARKHAND ; 7वीं कक्षा की बच्ची ने बचाई हजारों मवेशियों की जान, जानें कैसे

झारखंड
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बोकारो। लंपी बीमारी से अब नहीं होगी मवेशियों की मौत। वजह ये है कि झारखंड में बोकारो जिले के होलीक्रॉस स्कूल की सातवीं कक्षा की छात्रा श्रेयसी ने दुधारू मवेशियों में वायरल इंफेक्शन की वजह से होने वाली ‘लंपी’ बीमारी के इलाज का प्राकृतिक तरीका खोज निकाला है।

कई दिनों के अपने शोध के बाद श्रेयसी ने पान पत्ता, काली मिर्च, गुड़, नमक और अन्य प्राकृतिक चीजों के मिश्रण से इस बीमारी का अचूक इलाज ढूंढा है। श्रेयसी ने बताया कि उसने इसका सफल परीक्षण भी किया और 15 दिनों के भीतर बीमारी से ग्रसित मवेशी को इससे निजात मिल गई।

उसने बताया कि इस बीमारी की चपेट में आने से मवेशियों की परेशानी ने उसे उन्हें कष्ट से मुक्ति दिलाने की प्रेरणा दी। रेलकर्मी रतन कुमार सिंह और गृहिणी स्वर्णलता कुमारी की सुपुत्री श्रेयसी आगे चलकर मवेशियों के लिए ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस’ के तहत फार्मेसी का अपना स्टार्टअप विकसित करना चाहती है।

डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के मेधावी छात्र रूपेश कुमार ने नहीं सुन-बोल पाने वाले लोगों की मदद के लिए खास तकनीक पर काम किया है। गूंगे-बहरों के इशारों को आवाज में तब्दील करने का खास सॉफ्टवेयर उसने कंप्यूटर कोडिंग की मदद से तैयार किया है।

इस काम में उसे लगभग तीन महीने का समय लग गया। बोकारो के आशालता दिव्यांग विकास केंद्र में रह रहे दिव्यांगों की परेशानी देख उसे यह आइडिया सूझा था। उसका यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्तर के बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए भी चयनित किया जा चुका है। बीएसएलकर्मी रविशंकर कुमार एवं बिहार में राजस्व पदाधिकारी सुनीता कुमारी के होनहार पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि रही है। वह आगे चलकर एक सफल कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है।

शिक्षा के क्षेत्र में बोकारो का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर रोशन करने दोनों स्टूडेंट रूपेश और श्रेयसी नागपुर में आयोजित 108वें ‘सेशन ऑफ इंडियन साइंस कांग्रेस’ में शामिल हो रहे हैं। आरटीएम नागपुर यूनिवर्सिटी में 4 जनवरी से शुरू तीन-दिवसीय राष्ट्रीय किशोर वैज्ञानिक सम्मेलन में ये दोनों विद्यार्थी पूरे झारखंड का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

शोध और विज्ञान के सामंजस्य से तैयार अपने प्रोजेक्ट के जरिए दोनों अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा की चमक देश-विदेश के 500 से अधिक वैज्ञानिकों के बीच बिखेर रहे हैं। दोनों 8 जनवरी की सुबह वापस बोकारो लौट जाएंगे।