शिक्षकों का चरणबद्ध आंदोलन कल से, काला बिल्‍ला लगाकर करेंगे काम

झारखंड
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रांची। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश भर के शिक्षकों का चरणबद्ध आंदोलन 4 नवंबर से शुरू हो रहा है। पहले चरण में शिक्षक दो दिन काला बिल्‍ला लगाकर काम करेंगे। आंदोलन को सफल बनाने के लिए सभी कलस्टर और प्रखंड मुख्यालय में शिक्षकों के बीच काला फीता बांटा जा चुका है। जिला और प्रमंडलों में सघन जनसंपर्क अभियान चलाया गया है। पोस्टर, बैनर, मोटरसाइकिल स्टीकर जिलों में बांटे गये हैं।

संघ की प्रदेश कार्यसमिति ने राज्य के प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षकों की अस्मिता की रक्षा एवं चार सूत्री लंबित मांगों के लिए आंदोलन की घोषणा की है। इसके तहत पहले चरण में 4 और 5 नवंबर को प्रदेश भर के शिक्षक काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे। दूसरे चरण में 7 से 12 नवंबर तक स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि इसके बाद भी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर 19 नवंबर को सीएम आवास का ऐतिहासिक घेराव कि‍या जाएगा। इसमें शिक्षकों का जनसैलाब राजधानी रांची की सड़कों पर उतरेगा। अंतिम चरण में 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन अनशन आंदोलन किया जाएगा।

संघ ने कहा कि अपनी मांगों की पूर्ति के लिए शिक्षक आंदोलन को मजबूर है। कार्यक्रम को सफल बनाने में असदुल्लाह, दीपक दत्ता, अनूप केशरी, अनिल कुमार सिंह, राकेश कुमार, अजय ज्ञानी, उपेंद्र कुमार, श्रीकांत सिन्हा, हरेकृष्ण चौधरी, बाल्मिकी कुमार, प्रभात कुमार, अवधेश कुमार, अजय कुमार, अनिल खलखो, कृष्णा शर्मा, सलीम सहाय, रामचंद्र खरवार, सुरंजन कुमार लगे हुए हैं।

इसके अलावा मानी उरांव, संजय कंडुलना, संजय कुमार, सच्चिनानद सिंह, रमेश प्रसाद, अशोक राज, विभूति महतो, राजू कुमार, राजेश सिन्हा, प्रवीण कुमार, संजय सिंह, सुधीर दुबे, अमरेश चौरसिया, सुनील दुबे, दिलीप श्रीवास्तव, अजय कुमार अमोल, नीरज द्विवेदी, गोवर्धन यादव, रवि‍कांत रवि, विनोद राम, विनोद चौधरी, महेश्वर घोष, हरीश कुमार, जुवेल हांसदा, पवन ठाकुर, आनंद रजक, राधेकांत आदि भी अभियान चला रहे हैं।

ये है मांगें

बिहार की तर्ज पर झारखंड के शिक्षकों को MACP का लाभ दिया जाय।

छठे वेतन आयोग की विसंगतियों का निराकरण करते हुए इंट्री पे 16,290 किया जाय।

इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर नियमों का सरलीकरण करते हुए एक बार गृह जिला स्थानांतरण की सुविधा प्रदान की जाय।

गैर शैक्षणिक कार्यों एवं रिपोर्टिंग के अत्यधिक दवाब से शिक्षकों को पूर्णतः मुक्त किया जाय।