मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के लिए लैंड पजेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं : बादल

झारखंड मुख्य समाचार
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  • अब किसानों को सीएससी को नहीं देने होंगे 40 रुपये, सरकार करेगी भुगतान

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और सरकार राज्य में सुखाड़ प्रभावित किसानों को लेकर काफी संवेदनशील है। किसानों के चेहरे पर मुस्कान आए, इसके लिए हमें सभी प्रयास करने होंगे। ये बातें राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने 26 नवंबर को नेपाल हाउस स्थित एनआईसी सभागार में कहीं। वे सभी जिला के उपायुक्तों और जिला कृषि पदाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभागीय समीक्षा कर रहे थे।

केंद्र सरकार से मांगा 9682 करोड़

बादल ने कहा कि किसानों की उदासी को अवसर में बदलने का प्रयास सभी अधिकारी करें। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत आर्थिक मदद के लिए मेमोरेंडम ऑफ फाइनेंस समर्पित किया है। आशा है कि इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार आवश्यक सहयोग करेगी। सरकार ने केंद्र को मेमोरेंडम ऑफ फाइनेंस के तहत 9682 करोड़ के राहत सहायता की मांग की है।

इनको सुखाड़ योजना का लाभ दें

मंत्री ने कहा कि हर किसान परिवार या खेतिहर मजदूर जो राज्य के राशन कार्डधारी हो, उन सबको मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के तहत लाभ दिया जाए। उन्होंने विभागीय सचिव से कहा कि मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना के लिए जो दस्तावेजों को अपलोड किया जाता है, उनमें से लैंड पजेशन सर्टिफिकेट की बाध्यता को खत्म किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि हर एक किसान जिनका नाम राशनकार्ड में दर्ज है, मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना का लाभ मिले।

पदाधिकारी गांव का विजिट करें

मंत्री ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वैसे गांव जहां के लोग प्रखंड तक आकर योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं, वहां का स्वयं विजिट करें। कृषि योजनाओं का लाभ दिलाएं। सरकार की ओर से अनुदान पर दिए जा रहे बीज के उपयोग की धरातल पर जांच करें। क्षेत्रवार सक्सेस स्टोरी बनाएं, ताकि एक मॉडल बन सके।

सीएससी को नहीं देने होंगे 40 रुपये

कृषि मंत्री बादल ने कहा कि अब किसानों को सुखाड़ राहत योजना के लाभ के आवेदन के लिए 40 रुपये का शुल्क सीएससी या प्रज्ञा केंद्र को नहीं देना होगा। उक्त राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी। अब तक किसानों को राहत योजना के आवेदन को रजिस्टर्ड करने के लिए 40 रुपये का भुगतान करना पड़ता था।

सफलता अक्षरशः नहीं मिल रही है

बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री पशुधन योजना में कई सुझाव आए। सुझावों के अनुरूप कई बदलाव भी किए गए हैं, फिर भी सफलता अक्षरशः नहीं मिल रही है। पशुधन योजना के तहत आवेदन प्राप्त करने की रफ्तार काफी धीमी है, जिसमें सुधार करने की जरूरत है। साथ ही कई जिलों में योजना के धीमे कार्यान्वयन को लेकर नाराजगी भी जताई।

पशुधन योजना का लाभ दें : सचिव

कृषि सचिव श्री अबू बकर सिद्दिख पी ने कहा कि जिन जिलों में पशुधन वितरण का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ अथवा धीमा है, वहां जल्द और तीव्र गति से वितरण का कार्य करें। आवेदन ज्यादा से ज्यादा प्राप्त हों, इसके लिए निबंधित किसानों के मोबाइल पर एसएमएस भेजें। अब तक 18 जिलों में 23,000 से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए है, जो लक्ष्य से काफी दूर हैं।

स्मार्ट विलेज के लिए अनुशंसा प्राप्त करें

सचिव ने कहा कि एग्री स्मार्ट विलेज के लिए कृषि विभाग की सभी योजनाओं का कार्यान्वयन गांव में किया जाए, ताकि मॉडल विलेज के रूप में गांव को पहचान मिल सके। उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक से स्मार्ट विलेज के लिए अनुशंसा प्राप्त कर विभाग को सूचित करें।

बैठक में मुख्य रूप से कृषि निदेशक श्रीमती निशा उरांव, सहकारिता निबंधक मृत्युंजय वर्णवाल, पशुपालक निदेशक शशि प्रकाश झा, विशेष सचिव प्रदीप हजारे एवं वीडियो कांफ्रेंसिंग में विभिन्न जिलों के उपायुक्त और जिला कृषि, पशुपालन पदाधिकारी उपस्थित थे।