मौसम परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की रणनीति विकसित करने पर विशेषज्ञों का जोर

झारखंड
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  • बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत

रांची। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और आईसीएआर के पूर्व उप महानिदेशक डॉ अनिल कुमार सिंह ने लगातार बढ़ती आबादी और मौसम परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर देश की खाद्य और पोषण जरूरतों की पूर्ति के लिए कमर कसने का आह्वान वैज्ञानिकों से किया है।

डॉ सिंह ने कहा कि वर्ष, 2024 के प्रारंभ में भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इसी प्रकार वर्ष 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि हो जाएगी। इससे बड़े ग्लेशियर पिघलेंगे। समुद्री जल का स्तर ऊपर होगा। दुनियाभर में करोड़ों की आबादी का विस्थापन होगा।

डॉ सिंह सोमवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में मेरठ के आस्था फाउंडेशन द्वारा ‘टिकाऊ कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के लिए वैश्विक शोध पहल’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। फाउंडेशन ने इसका आयोजन बीएयू और देश के कई कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया है।

डॉ सिंह ने कहा कि इस वर्ष सर्वाधिक तापक्रम, जंगल की आग, सुखाड़, बादल फटने आदि मौसम की एक्सट्रीम परिस्थितियों का रिकॉर्ड बना है। सर्वाधिक कुपोषण वाले देशों में भारत शुमार है, जहां की 50% महिलाएं और 20% पुरुष रक्ताल्पता से पीड़ित हैं। पौधा, पशु-पक्षी, मनुष्य और पर्यावरण के स्वास्थ्य का आधार मिट्टी है। पोषण का मूल स्रोत मृदा ही है। इसलिए इसके स्वास्थ्य के संरक्षण संवर्धन के लिए सुचिंतित प्रयास किए जाने चाहिए। पोषण के लिए आहार में मडु़वा, गुंदली, ज्वार, बाजरा आदि मिलेट्स की मात्रा बढ़ानी चाहिए।

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि कृषि के लिए भूमि और जल की उपलब्धता लगातार घट रही है। इसलिए हमें कम संसाधनों में ही अधिक उत्पादन की तरकीब ढूंढनी होगी। मिट्टी से पोषक तत्वों का लगातार दोहन हो रहा है। उसकी भरपाई के लिए भी प्रयास करना होगा तभी हम अगली पीढ़ी को स्वस्थ मिट्टी की विरासत सौंप पाएंगे।

पलामू के नीलंबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राम लखन सिंह ने दीर्घकाल में जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) क्रॉप्स की विषाक्तता के पहलू पर शोध की आवश्यकता जताई।

ढाका के बांग्लादेश कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक डॉ बीके चक्रवर्ती ने विकासशील देशों में गरीबी और भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए मछली और पशुधन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया।

बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता डॉ सुशील प्रसाद, आस्था फाउंडेशन के संस्थापक और आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ एसपी सिंह और आयोजन समन्वयक डॉ अमित कुमार ने किया ने भी अपने विचार रखे।

सम्मेलन के मुख्य आयोजन सचिव डॉ रबीन्द्र कुमार ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर 6 लोगों को आस्था फाउंडेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।