रांची। देश भर में संचालित आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (तेलहनी-तीसी) की राष्ट्रीय स्तर पर पंचवर्षीय समीक्षा बैठक रायपुर में हुई। छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय बैठक में देश में चल रहे तीसी फसल के 14 शोध परियोजना केंद्रों के कार्यो की समीक्षा की गयी।
आईसीएआर द्वारा गठित सात सदस्यीय समीक्षा दल की बैठक की अध्यक्षता जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय जूनागढ़ एवं नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी गुजरात के पूर्व कुलपति डॉ एआर पाठक ने की। संचालन सदस्य सचिव डॉ कंदिर देल ने किया।
बैठक में राष्ट्रीय परियोजना अन्वेंषक (तीसी फसल) डॉ एएल रत्नाकुमार ने पिछली पंचवर्षीय समीक्षा बैठक (वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक) की अनुशंसा एवं एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत किया। देश में चल रही तीसी शोध परियोजना के महत्वपूर्ण उपलब्धियों को रखा।
बैठक में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (रांची) के अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में संचालित तीसी फसल शोध परियोजना केंद्र के परियोजना अन्वेंषक डॉ सोहन राम और सह परियोजना अन्वेंषक डॉ परवेज आलम एवं डॉ एमके बर्नवाल ने भाग लिया।
बैठक में सभी 14 शोध परियोजना केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2017-18 से 2021-22 तक की अवधि में तीसी फसल की अनुसंधान सबंधी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। परियोजना अन्वेंषक डॉ सोहन राम ने रांची केंद्र द्वारा तीसी फसल की विकसित चार उन्नत किस्मों, प्रजनक बीज उत्पादन, देश-विदेश के 3 हजार से अधिक तीसी जर्म प्लाज्म का संरक्षण, केवीके के सहयोग से अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण द्वारा तीसी के उन्नत किस्मों का प्रदर्शन एवं बढ़ावा और जनजातीय उपपरियोजना अधीन किसानोपयोगी शोध-प्रसार गतिविधियों का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मौके पर सह परियोजना अन्वेंषक डॉ एमके बर्नवाल एवं डॉ एनपी यादव ने तीसी फसल पर शोध रिपोर्ट को रखा।
परियोजना अन्वेंषक डॉ सोहन राम ने बताया कि बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर रांची केंद्र के तीसी फसल शोध कार्यो को काफी अच्छा बताया गया। अध्यक्ष ने केंद्र के सभी कार्यों को सराहा। इससे अगले 5 वर्षो तक रांची में बेहतर शोध कार्यो को बल मिलेगा।
डॉ राम ने कहा कि राज्य में वर्षों बाद वर्तमान कृषि सचिव अबुबकर सिद्दीख पी की अध्यक्षता में स्टेट वेराइटल रिलीज कमेटी ने तीसी की विकसित चार उन्नत किस्मों की अनुशंसा प्रदान की। यह रांची केंद्र के लिए गौरव का विषय बना। उन्होंने परियोजना संचालन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के मार्गदर्शन और निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल के सहयोग के प्रति आभार जताया।
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