गजब व्‍यवस्‍था : लाभुक झारखंड में, बंगाल भेजी जा रही पेंशन

झारखंड
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  • बीडीओ से शिकायत के बाद भी नहीं हुआ सुधार

प्रशांत अंबष्‍ठ

गोमिया (बोकारो)। गजब की व्‍यवस्‍था है। झारखंड के लाभुक की पेंशन बंगाल के खाते में भेजी जा रही है। बीडीओ से शिकायत करने के बाद भी सुधार नहीं हुआ। अब सहायक निदेशक (सामाजिक सुरक्षा) मामले की जांच कर सुधार का आश्वासन दे रहे हैं। पेंशन की आस में दो लाभुकों की अबतक मौत भी हो चुकी है।

जानकारी के अनुसार गोमिया प्रखंड के अति उग्रवाद क्षेत्र चतरोचट्टी पंचायत के कतवारी गांव की वृद्ध मसोमात पुनिया देवी पेंशन की आस लगाए बैठी है। इसके लिए वह दर-दर भटक रही है। झारखंड सरकार की इन दिनों चल रही सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी इस महिला की समस्या का कोई निराकरण नहीं हो सका।

पुनिया देवी बताती है कि जब प्रतिमाह 500 रुपये वृद्धा पेंशन मिलती थी, तब मुझे भी पैसा मिलता था। बीते कई वर्षों से पेंशन बंद हो चुकी है। पुनिया देवी ने कहा कि उनकी पेंशन का पैसा बंगाल के वर्धमान जा रहा है।

गांव के मुखिया महादेव महतो कहते हैं कि ऐसी करीब 5 महिलाएं हैं। मुखिया के अनुसार यहां के ग्रामीण बैंक और बंगाल के बैंक ऑफ इंडिया का कोड मैच हो जाने के कारण इनका पैसा बंगाल चला जा रहा है।

पीड़ि‍ता प्रखंड कार्यालय से लेकर जनता दरबार तक चक्कर लगा चुकी है, किंतु समस्या का निराकरण नहीं हो सका। मुखिया के अनुसार वर्ष, 2016 तक पैसा मिला। 2017 में बंद हो गया। उन्होंने बताया कि एक साल बाद पुनिया देवी मेरे पास आई।

मुखिया के मुताबिक इसके बाद हर कोशिश की, किंतु पेंशन नहीं मिल सकी। पेंशन की आस में दो वृद्ध महिलाओं की मौत भी हो चुकी है। लाखों लाख रुपया बंगाल चला गया। प्रखंड कार्यालय में डायरेक्ट अकाउंट में पैसा देने की बात कही, लेकिन वह काम भी नहीं हो सका।

इस संबंध में गोमिया बीडीओ कपील कुमार ने कहा कि दो तीन ऐसे मामले उनके सज्ञान में आये हैं। इसके बाद उन्होंने सुधार के लिए कई बार पत्राचार भी किया, लेकिन अबतक सुधार नहीं हो पाया है। उन्होंने बोकारो के सहायक निदेशक (सामाजिक सुरक्षा) से इस संबंध में बात करने को कहा।

सहायक निदेशक रवि शंकर मिश्रा के अनुसार उनके सज्ञान में अबतक इस प्रकार का मामला नहीं आया है। वे इसकी जांच कर संबंधित बैंक से पैसा वापसी के लिए पत्राचार करेंगे।

आश्चर्य यह कि वर्ष 2017 से बैंक द्वारा इस प्रकार के कृत्य को अंजाम दिया जाता रहा। झारखंड सरकार द्वारा वृद्धा पेंशन की राशि बेधड़क बंगाल भेजी जाती रही।