रांची। चालू रबी मौसम को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के निर्देश पर गुरुवार को उलीहातू में कृषि वैज्ञानिक आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके तहत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) लोहरदगा एवं सिमडेगा के वैज्ञानिक दल ने गांव का पीआरए सर्वेक्षण किया। तकनीकी गतिविधियों की संभावना सबंधी जानकारी हासिल की।
केवीके वैज्ञानिक दल में डॉ बंधनु उरांव, डॉ शंकर कुमार सिंह एवं डॉ स्मिता श्वेता शामिल थी। मौके पर दल द्वारा चालू रबी मौसम के उपयुक्त तकनीकी का आकलन किया गया। सर्वेक्षण के बाद उलीहातू गांव में किसान-वैज्ञानिक अंतरमिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी किसान शामिल हुए।
स्थानीय आदिवासी किसानों ने गांव में रबी मौसम में कृषि कार्यो की गतिविधि, समस्या और जरूरतों से वैज्ञानिकों को अवगत कराया। किसानों ने सीमित सिंचाई साधन एवं रबी फसलों के उन्नत बीज की कमी और फसलों पर लगने वाले कीट एवं व्याधि के प्रकोप की विस्तार से जानकारी दी।
अंतरमिलन कार्यक्रम में बीएयू मुख्यालय के वैज्ञानिक डॉ बसंत उरांव, डॉ शीला बारला, डॉ अरुण कुमार, डॉ नरेश यादव एवं केवीके वैज्ञानिक डॉ बंधनु उरांव, डॉ शंकर कुमार सिंह एवं डॉ स्मिता श्वेता ने किसानों की स्थानीय समस्याओं को जाना और समाधान से अवगत कराया।
मौके पर केवीके वैज्ञानिक डॉ बंधनु उरांव और डॉ शंकर कुमार सिंह ने किसानों को चालू रबी मौसम में कम सिंचाई, कम अवधि एवं कम लागत वाली फसल तकनीक को अपनाने की सलाह दी। चालू रबी मौसम में उलीहातू गांव विभिन्न रबी फसलों के अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) के लिए किसानों से सलाह-मशविरा किया। एफएलडी के लिए किसानों का चयन किया।
वानिकी वैज्ञानिक डॉ डॉ बसंत उरांव ने गांव के उपयुक्त कृषि वानिकी तकनीकी को बताया। कृषि वानिकी को अपनाकर अधिक आय प्राप्त करने की जानकारी दी।
डॉ अरुण कुमार एवं डॉ नरेश यादव ने गेहूं, राई-सरसों व तीसी फसलों की उन्नत खेती के सबंध में बताया। डॉ शीला बारला ने विभिन्न रबी फसलों की पैकेज प्रणाली की जानकारी दी। मौके पर डॉ अदयंत कुमार एवं मो फिरोज भी मौजूद थे। यह जानकारी केवीके, सिमडेगा के वैज्ञानिक डॉ बंधनु उरांव ने दी।