आत्महत्या की रोकथाम के बारे में समुदाय में जागरुकता बढ़ाने पर जोर

झारखंड सेहत
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रांची। केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान में एक राष्ट्रीय सीएमई का आयोजन 19 सितंबर को किया गया। कार्यक्रम का आयोजन इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (IPS) झारखंड शाखा द्वारा IPS स्पेशलिटी सेक्शन ऑन सुसाइड प्रिवेंशन के सहयोग से किया गया था। कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिनिधि और आईपीएस झारखंड शाखा के सदस्यों ने भाग लिया।

समारोह में भारत की 11 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित आत्महत्या की रोकथाम पर एक बहुभाषी पुस्तिका का विमोचन किया गया था। विशेषज्ञों ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए प्रयासों में तेजी लाने और समुदाय में आत्महत्या की रोकथाम के बारे में जागरुकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दि‍या।

वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत डॉ हेलेन हेरमैन ‘इनसाइट्स इन द लैंसेट डब्ल्यूपीए कमीशन रिपोर्ट ऑन डिप्रेशन’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्‍होंने आत्महत्या पर अवसाद के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।

डॉ रवींद्र मुनोली ने मणिपाल में पेशेवर कॉलेज के छात्रों के बीच आत्महत्या की रोकथाम के अपने प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ लक्ष्मी विजयकुमार ने आत्महत्या की रोकथाम के लिए अपने सामुदायिक हस्तक्षेप से अवगत कराया।

डॉ सुजीत सरखेल ने ‘द्वारपाल प्रशिक्षण और योग्यता के न्यूनतम मानकों : भारतीय संदर्भ’ पर बात की। डॉ विकास मेनन ने ‘आत्महत्या के प्रयास के लिए हस्तक्षेप : वर्तमान साक्ष्य’ पर बात की।

डॉ एम अलीम सिद्दीकी ने ‘सोशल मीडिया के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम : आगे का रास्ता’ पर बात की। अन्य वक्ता डॉ अरबिंद ब्रह्मा और डॉ विनय कुमार थे।

कार्यक्रम में सीआईपी के निदेशक प्रोफेसर (डॉ) बासुदेब दास, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) के अध्‍यक्ष डॉ एनएन राजू, डॉ लक्ष्मी विजयकुमार, डॉ विनय लकड़ा, और प्रो हेलेन हेरमैन एओ भी मौजूद थे।