रांची। कोयला कामगारों के परफॉर्मेंस लिंक्ड रिवार्ड (सालाना बोनस) पर 28 सितंबर को फैसला होगा। प्रबंधन ने इस मुद्दे को लेकर कोल इंडिया की सहायक कंपनी सीएमपीडीआई में बैठक बुलाई है। बैठक सुबह 11 बजे से होगी। इसकी जानकारी पहले ही ट्रेड यूनियनों को दे दी गई है। इसपर 2.35 लाख कामगारों की निगाहें टिकी है।
कामगारों को हर साल दुर्गा पूजा से पहले बोनस दिया जाता है। इसका फैसला प्रबंधन और यूनियन प्रतिनिधियों की बैठक में आपसी सहमति से लिया जाता है। बोनस का इंतजार कामगारों को हमेशा रहता है। कई लोग पैसा खर्च करने का प्लान भी बोनस मिलने से पहले ही बना लेते हैं।
कोयला कामगार इस बार बोनस 1 लाख रुपये देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी बदौलत ही कंपनी के उत्पादन, प्रेषण और लाभ में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में यह राशि उन्हें मिलनी चाहिए।
बतातें चलें कि वर्ष, 2021 में कामगारों को सालाना बोनस 72,500 रुपये मिला था। कामगार इस बात 1 लाख मांग रहे हैं यानी पिछले साल की तुलना में 27,500 रुपये अधिक बोनस की मांग कर रहे हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो कोयला कामगारों को 2012 में बोसन 26,000 रुपये मिला था। वर्ष 2021 में 72,500 रुपये मिला। बीते 10 साल में बोनस में 46,500 रुपये की बढ़ोतरी हुई। यानी औसतन हर साल 4,650 रुपये की वृद्धि हुई। इसे लगभग 5,000 रुपये माना जा सकता है।
वर्ष, 2020 की तुलना में साल, 2021 में बोनस 4,000 रुपये अधिक मिले। औसतन बढ़ोतरी और पिछले साल की राशि बढ़ोतरी का आंकड़ा देखें तो इस साल बोनस में 4 से 5 हजार रुपये की वृद्धि संभव है। इस लिहाज से इस साल 76 से 78 हजार रुपये बोनस मिल सकता है।
वेतन समझौते को लेकर चल रही वार्ता पर गौर करें तो कोल इंडिया प्रबंधन हर हाल में बोनस 75 हजार रुपये पर निपटाने का प्रयास करेगा। हालांकि अंतिम मुहर 28 सितंबर को जेबीसीसीआई की मानकीकरण समिति की बैठक में लगेगी।
कब कितना बोनस मिला
2012- 26,000
2013- 31,500
2014- 40,500
2015- 48,500
2016- 54,000
2017- 57,000
2018- 60,500
2019- 64,700
2020- 68,500
2021- 72,500