रांची। झारखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड और नाबार्ड ने 2000 संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के संवर्द्धन एवं वित्तपोषण के लिए समझौता ज्ञापन पर 2 अगस्त को हस्ताक्षर किये। झारखंड की राजधानी रांची स्थित नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में हुए इस समझौते की अवधि तीन वर्ष होगी।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक विनोद कुमार बिष्ट की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर नाबार्ड के महाप्रबंधक गौतम कुमार सिंह एवं सहकारी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने हस्ताक्षर किये।
इस अवसर पर नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ने जेएलजी के वित्तपोषण के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जेएलजी के माध्यम से राज्य में भूमिहीन कृषकों, मौखिक पत्तेदार, बटाई-दार कृषकों को कृषि व गैर-कृषि क्षेत्र में खेती व हैंडीक्राफ्ट इत्यादि क्रियाकलापों के लिए बैंक द्वारा वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध है।
बिष्ट ने कहा कि प्रदेश की अधिकतर आबादी रोजगार के लिए दूसरे राज्य में विस्थापित होती है, जबकि यहां स्वरोजगार की काफी संभावनाएं है। उन्होंने बैंक से अनुरोध किया कि वे अपनी शाखाओं और पैक्स/ लैम्प्स के माध्यम से लाभार्थियों को मियादी कृषि ऋण की सुविधा प्रदान करें। सामान्य अनुमान के अनुसार 2000 संयुक्त देयता समूहों का संवर्द्धन और वित्तपोषण करने पर सहकारी बैंक लगभग 8000 से 10000 भूमिहीन कृषकों व अन्य अन्य कमजोर वर्ग के लोगों को स्वरोजगार का अवसर प्रदान कर पाएगा।
झारखंड राज्य सहकारी बैंक की 20 जिलों में 105 शाखाएं हैं। डॉ मनोज कुमार ने भरोसा जताया कि बैंक 2 अक्टूबर तक 500 संयुक्त देयता समूहों का संवर्द्धन कर उनका वित्तपोषण कर लेगी। उन्होंने यह आश्वासन दिया कि नियत समय के अंदर बैंक 2000 संयुक्त देयता समूहों का संवर्द्धन और वित्तपोषण अवश्य कर लेगा।
इसके फलस्वरूप लगभग 50 करोड़ रुपये का वित्तपोषन इन्हें प्राप्त होगा। नाबार्ड की ओर से राज्य सहकारी बैंक को इस कार्य के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। कार्यक्रम में नाबार्ड एवं झारखंड राज्य सहकारी बैंक के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।