भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगा सरकार का एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम

मुंबई देश बिज़नेस
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अनिल बेदाग

मुंबई। विश्व जैव ईंधन दिवस पर इंडियन ऑयल मार्केटिंग कंपनी और भारत पेट्रोलियम ने देश में जैव ईंधन के रणनीतिक महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया है।

इस अवसर पर बीपीसीएल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर-रिटेल पीएस रवि ने कहा, ‘इंडस्ट्री में बीपीसीएल एथेनॉल के लिहाज से एक समन्वयक और अग्रणी भूमिका में है। हम सरकार के एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम में योगदान देने में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। भारत जैसे बढ़ते राष्ट्र के लिए ऊर्जा सुरक्षा हासिल करना और एक निम्न कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पेट्रोल के साथ स्थानीय रूप से उत्पादित एथेनॉल का मिश्रण भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने, आयात को कम करने, स्थानीय उद्यमों और किसानों को ऊर्जा अर्थव्यवस्था में भाग लेने में सक्षम बनाने और कई अन्य लाभों के बीच वाहनों के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।’

एथेनॉल एक कम प्रदूषणकारी ईंधन है। कम लागत पर समान दक्षता प्रदान करता है। कृषि योग्य भूमि की व्यापक उपलब्धता, खाद्यान्न और गन्ने के बढ़ते उत्पादन के कारण एकत्र होने वाला अधिशेष, संयंत्र आधारित स्रोतों से एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए टेक्नोलॉजी की उपलब्धता और वाहनों को इसके अनुकूल बनाने की जरूरत जैसे कारणों से एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल ई20 को न केवल एक राष्ट्रीय अनिवार्यता बनाता है, बल्कि एक महत्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता भी बनाता है।

बीपीसीएल ने ओएमसी के साथ 131 एलटीओए पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत प्रति वर्ष लगभग 757 करोड़ लीटर क्षमता वाले एथेनॉल संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है। एथेनॉल की कमी वाले राज्यों में उन्होंने रेलवे माल ढुलाई के माध्यम से अधिशेष राज्यों से घाटे वाले राज्यों में एथेनॉल को स्थानांतरित करने और घाटे वाले राज्यों में उच्च मिश्रण सुनिश्चित करने के लिए भी पहल की है।

बीपीसीएल ओडिशा के बरगढ़ में एक इंटीग्रेटेड 2जी और 1जी बायो एथेनॉल रिफाइनरी स्थापित कर रहा है। बायो-एथेनॉल रिफाइनरी एथेनॉल की उत्पादन क्षमता को लगभग 6 करोड़ लीटर प्रति वर्ष तक बढ़ाएगी। रिफाइनरी में फीडस्टॉक के रूप में बायोमास का उपयोग करते हुए 2जी एथेनॉल की प्रति दिन 100 केएल और फीडस्टॉक के रूप में चावल के अनाज का उपयोग करते हुए 100 केएलपीडी 1जी बायो इथेनॉल की डिजाइन उत्पादन क्षमता है।

वर्ष 2020-21 में 551 अरब डॉलर की लागत से भारत का पेट्रोलियम का शुद्ध आयात 185 मीट्रिक टन था। अधिकांश पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग परिवहन में किया जाता है। इसलिए एक सफल ई20 कार्यक्रम देश को प्रति वर्ष 1 बिलियन डॉलर यानी 30,000 करोड़ रुपए की बचत करा सकता है।