इस वजह से लुप्तप्राय होते जा रहे हाथियों का संरक्षण जरूरी

विचार / फीचर देश
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  • हाथी दिवस-2022 पर विशेष

मुकेश कुमार

कहावत है कि हाथी कभी नहीं भूलते, ऐसा शायद उनकी दिमाग की बड़ी संरचना के कारण होता है। यही उन्हें कमाल का स्मृति कौशल देता है।

हाथी दिवस हर साल 12 अगस्त को पूरे विश्व भर में वर्ष, 2012 से ही मनाया जाता है। हाथी भू पर पाया जाने वाला सबसे बड़ा जानवर है। ये शाकाहारी होते हैं। घास, जड़ी-बूटी, फल, पौधे एवं पेड़ खाते हैं। लगभग 70 वर्ष तक का औसतन जीवन जीने वाले हाथी प्रतिदिन लगभग 195 किलोमीटर तक चल सकते हैं। ये आसानी से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ भी सकते हैं। अफ्रीकी एवं एशियाई हाथी वर्तमान में 37 अफ्रीकी देशों और 13 एशियाई देशों में पाये जाते हैं।

हाथी दिवस की शुरुआत कनाडा की फिल्मकार पैट्रिशिया सिम्स द्वारा की गई थी। उन्हें थाईलैंड की रानी सीरीकिट का संरक्षण प्राप्त था। एशियाई हाथी की ज्यादातर संख्या भारत, नेपाल और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पाई जाती है। विश्व हाथी दिवस विभिन्न कार्यकलापों द्वारा एक ऐसा मंच उपलब्ध कराता है, जिससे उनका संरक्षण हो सके। उसे बचाया जा सके।

अब तक दुनिया भर में पिछले दस सालों में 100 से ज्यादा संस्थाओं ने इस दिशा में सार्थक प्रयत्न किये हैं। हाथी सौम्य, बुद्धिमान प्राणी होते हैं, जिन्हें हमें यह सोचकर भी संरक्षित करना चाहिए कि आने वाली सदियों के लिए हमारे प्राकृतिक पारिस्थिकी तंत्र का हिस्सा बने रहे। इससे जीवों व वनस्पतियों का संतुलन भी बना रहेगा।

दुर्भाग्य से हाथी दांत के लिए मनुष्य के लालच ने दुनिया भर में हाथियों की जनसंख्या बेहद कम कर दी है। वर्ष, 1970 में जहां अनुमानतः 13 लाख हाथी दुनिया भर में थे, अब केवल 4 लाख ही बचे हैं। भारत में भी बहुत कम हाथी बचे हैं। वर्ष, 2017 में जब हाथियों की गणना की गई थी, तब 30,000 हाथी बचे थे। अब अनुमानतः 27,000 ही बचे हैं। केरल जैसे राज्य हाथियों के शिकार के लिए ज्यादा ही कुख्यात रहे हैं। यहां औसतन 1 हाथी हर तीसरे दिन मारे जाते हैं।

लुप्तप्राय होते जा रहे हाथियों को बचाने के लिए विश्व भर में आंदोलन हो रहे हैं। इसमें हाथी दिवस जैसे कार्यक्रमों का बड़ा महत्व है। इस अवसर पर स्‍कूलों में चित्रकला, कथावाचन, फिल्म शो आदि का आयोजन किया जा सकता है। इससे हाथियों के बारे में सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है। विश्वभर में पशु संरक्षण प्रेमी इस दिवस से हाथियों के प्रति अपनी सहृदयता और प्यार को आवाज प्रदान कर सकते हैं।

भारतीय कानून की दृष्टि से वन्य जीव संरक्षण कानून भी इस दिशा में देश की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हाथियों का जीवन बहुमूल्य है। उन्हें बचाना सरकार के साथ आम लोगों का दायित्व भी होना चाहिए।

मुकेश कुमार

(लेखक : प्रशिक्षित स्‍नोतकोत्तर शिक्षक (अंग्रेजी) हैं। रांची के रातू रोड स्थित केंद्रीय विद्यालय, सीसीएल, राजेंद्र नगर में पदस्‍थापित हैं।)