दिल्‍ली में मुक्‍त कराए गए मानव तस्करी के शिकार झारखंड के 12 लोग

झारखंड
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  • मुक्त होनेवाले में 10 बच्चियां, 1 बालक एवं 1 महिला शामिल

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बालक, बालिकाओं को मुक्त कराकर घरों में उनका पुनर्वास किया जा रहा है। इसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले की 10 बच्चियों एवं 1 महिला और सिमडेगा जिले के 1 बालक को दिल्ली में मुक्त कराया गया है। मुक्त बच्चियां पश्चिम सिंहभूम जिले की हैं। इन बच्चियों में एक डेढ़ वर्ष की बच्ची भी शामिल है।

ऐसे एक हुए मां और बच्‍ची

एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र, नई दिल्ली की नोडल ऑफिसर श्रीमती नचिकेता ने बताया कि अनु (बदला हुआ नाम) की मां को दिल्ली लाया गया था। उस समय वह गर्भवती थी। उक्त अवस्था में किसी कारणवश वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गई थी। इसी अवस्था में उसने दिल्ली में बच्ची को जन्म दिया। जन्म के बाद वह अपने बच्चे को पहचान भी नहीं पा रही थी। दिल्ली पुलिस ने महिला को शॉर्ट स्टे होम में और बच्ची को बाल कल्याण समिति को सुपुर्द कर दिया। वहां बच्ची वेलफेयर होम में रह रही थी। मां के इलाज के लगभग 1 साल बाद उसने अपनी बच्ची से मिलने की इच्छा जाहिर की। पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन के सहयोग से बच्ची को उसकी मां से मिलाया गया। एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र की टीम के साथ मां और उसकी बच्ची को झारखंड भेजा जा रहा है।

शारीरिक और मानसिक शोषण

मुक्त कराए गए बच्चों में एक बच्ची मात्र 8 साल की है। इस बच्ची के पिता की मृत्यु हो गई थी। उसके चार भाई-बहनों में दो भाई -बहनों का कुछ भी पता नहीं है। एक भाई अपने चाचा के साथ रहता है। इस बच्ची को दिल्ली में लगभग 1 साल पहले मानव तस्कर द्वारा बेच दिया गया था। इन बच्चों में सुनीता एवं रेखा दोनों (बदला हुआ नाम) को मानव तस्करों के चंगुल से दूसरी बार छुड़ाया जा रहा है। मानव तस्कर द्वारा भेजी गई बच्ची के साथ शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का शोषण किया जाता है। कई बच्चियों पर शारीरिक शोषण किए जाने संबंधी दिल्ली में केस भी दर्ज है।

विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उनका जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा जिले में पुनर्वास किया जाएगा। इस कड़ी में पश्चिम सिंहभूम जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती अनीशा कुजूर एवं जिला बाल संरक्षण के शरद कुमार गुप्ता की टीम द्वारा पहल करते हुए दिल्ली में मुक्त की गई उनके जिला के 10 बच्चियों एवं  एक महिला एवं एक बालक को दिल्ली से स्कॉट किया गया। सभी को ट्रेन द्वारा वापस पश्चिम सिंहभूम ले जाया जा रहा है। इन बच्चियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि बच्चियां पुनः मानव तस्करी का शिकार न बनने पाए।

लगातार मुक्‍त कराया जा रहा

गौरतलब है कि स्थानिक आयुक्त श्री मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली के द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस,  बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।

दलालों के माध्यम से पलायन

दिल्ली से मुक्त करायी गई बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था। झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं। विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं। इससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है।

माता-पिता भी हैं जिम्मेदार

दलालों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है। कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता पिता, अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल  में फंसकर आ जाती है।

मुक्त लोगों की सतत निगरानी

समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देश पर  झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन बच्चियों को पुन: मानव तस्करी के शिकार होने से से बचाया जा सके। एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र की परामर्शी सुश्री निर्मला खलखो एवं कार्यालय सहायक राहुल सिंह ने अहम भूमिका निभाई है।