गांव की अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा, लोगों ने शख्स को जिंदा जलाया, जानें पूरा मामला

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असम। दिल दहलाने वाली खबर असम के नगांव जिले से आयी है, जहां एक गांव में कंगारू कोर्ट यानी गांव की अदालत के फैसले के बाद एक शख्स को जिंदा जला दिया गया। शख्स पर एक महिला की हत्या का आरोप था, जिसके बाद गांव के कुछ लोगों ने जन सुनवाई करते हुए उसे मौत की सजा सुनाई।

इस मामले में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। नगांव जिले के बोरलालुन गांव का यह पूरा मामला है। गांव में रहने वाली सबिता पातोर की 5 लोगों ने मिलकर हत्या कर दी थी। इसकी जांच कंगारू कोर्ट की तरफ से की जा रही थी। हत्या में कथित रूप से शामिल लोगों पर मुकदमा चलाया गया।

इसी बीच एक दूसरी महिला ने दावा किया कि वह घटना की चश्मदीद गवाह है और 5 लोगों को महिला की हत्या करते देखा। मुख्य आरोपी रंजीत ने महिला की हत्या की बात कबूल ली, जिसके बाद कंगारू कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला की हत्या करने वाले आरोपी को ग्रामीण उसके घर से खींचकर लाए और एक पेड़ से बांधकर जमकर पीटा। इसके बाद उसे जिंदा जला दिया गया। ग्रामीणों ने झुलसे हुए शव को दफना दिया।

ग्रामीणों का कहना है कि रंजीत को इसीलिए मौत की सजा सुनाई गई, क्योंकि उसने जादू- टोना करते हुए महिला की हत्या की थी।

नगांव के सब-डिविजनल पुलिस ऑफिसर मृणमय दास ने कहा कि उन्हें सूचना मिली कि बोरलालुनगांव में शख्स को जिंदा जलाकर मार दिया गया है। इसके बाद ग्रामीणों ने सबूत मिटाने के लिए शव को दफना दिया।

हमने कड़ी मेहनत के बाद बॉडी को ढूंढ निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कुछ लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, जिनसे पूछताछ जारी है।

कंगारू कोर्ट की सदियों पुरानी परंपरा है। साल साल 2011 में इसे गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है। गांव और देहात में आज भी ऐसी अदालतें चल रही हैं। इसमें गांव के कुछ लोग अदालत लगाते हैं और किसी भी केस में अगर कोई आरोपी पाया जाता है, तो दिल दहला देने वाले आदेश देते हैं। कंगारू कोर्ट में सबूत नहीं, बल्कि लोगों के दबाव या भावनाओं के बहाव में फैसले सुनाए जाते हैं।