गुमला। राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस के उपलक्ष में मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय में 10 जुलाई को छात्रों के बीच समूह चर्चा आयोजित की गई। इसका विषय ‘मीठे जल की कृषि में समस्याएं एवं उसके निदान के उपाय’ था। कार्यक्रम ऑनलाइन हुआ। इसमें विभिन्न सत्र के 8 छात्र-छात्राओं ने ने भी अपने-अपने विचार रखें। कार्यक्रम में 40 विद्यार्थी एवं सभी सह-प्राध्यापक सम्मिलित थे I
छात्रों ने मछली बीज की गुणवत्ता, मछली पालन में जलीय प्रदूषण के प्रभाव, मत्स्य रोग, एंटीबायोटिक के अत्यधिक मात्रा में उपयोग, मछली के मूल्यवर्धन, सजावटी मछलियों की कमी एवं मत्स्य किसानों के आर्थिकी विषयों में समस्याओं को व्यक्त किया। डिस्कशन के दौरान विद्यार्थियों के साथ-साथ प्राध्यापकों ने भी समस्याओं के निवारण के लिए अपने वक्तव्य रखे।
महाविद्यालय के सह अधिष्ठाता डॉ एके सिंह ने कहा कि किसान छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें। पानी की गुणवत्ता के मापदंडों पर ज्यादा ध्यान दें। मछली बीज का संचयन करते समय ध्यान रखें कि अंगुलिकाओं के संचयन की संख्या अधिक नहीं हो। उचित मात्रा में आहार डालें। बचा हुआ आहार पानी की गुणवत्ता को खराब करती है। अतः इससे बचें। केमिकल और फार्म इंडस्ट्री के केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा जारी किये गए स्टैंडर्ड्स को अपनाने से जलीय प्रदूषण को रोका जा सकता है। मछली उत्पादों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाय।
समूह चर्चा के विजेताओं में प्रथम-शौर्य दत्ता, द्वितीय-शाम्भवी कुमारी मिश्रा एवं तृतीय-सुकृति मंडल रहे। कार्यक्रम में क्विज भी हुआ। इसमें प्रथम-शौर्य दत्ता, द्वितीय-श्रेया आनंद एवं तृतीय-पयोजा मोहंती रहे।
यह कार्यक्रम ओम प्रवेश कुमार रवि की देखरेख में हुआ। डॉ गुलशन कुमार ने संचालन किया। डॉ प्रशांत जना और डॉ तशोक लीया ने सहयोग किया।