Good News : बीएयू में विकसित सोयबीन के नये प्रभेद की अधिसूचना जारी, जानें खूबी

झारखंड कृषि मुख्य समाचार
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रांची। सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी ने बीएयू में विकसित सोयबीन के नये प्रभेद की अधिसूचना जारी की। फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केंद्रीय उप समिति ने आईसीएआर उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टीआर शर्मा की अध्यक्षता में 17 जून को 88 वीं बैठक हुई। इसमें सभी 46 सदस्यों की सर्वसम्मति से पूरे देश के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नये उन्नत फसल किस्मों को स्वीकृति प्रदान की थी।

13 जुलाई को अधिसूचना जारी

इस बैठक में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नये प्रभेद ‘बिरसा सोयबीन-4’ को भी अनुमोदन प्रदान किया गया था। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में उक्त केंद्रीय उप समिति के सदस्य सचिव सह उप आयुक्त डॉ दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने 13 जुलाई को ‘बिरसा सोयबीन-4’ प्रभेद की अधिसूचना जारी कर दी है।

इन वैज्ञानिकों का रहा सहयोग

इस नये उन्नत प्रभेद को बीएयू के आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग की वैज्ञानिक डॉ नूतन वर्मा के नेतृत्व में पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र कुदादा और डॉ सबिता एक्का, कीट वैज्ञानिक डॉ रविंद्र प्रसाद और शस्य वैज्ञानिक डॉ अरबिंद कुमार सिंह के सहयोग से विकसित किया गया है। इस प्रभेद को मार्च में स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी ने अनुशंसा प्रदान की थी।

डॉ नूतन वर्मा

उत्‍पादन क्षमता 30 क्विंटल

बताते चले कि बिरसा सोयाबीन-4 प्रभेद के पौधों की ऊंचाई 55 से 60 सेंटीमीटर, बीज आकार में लंबी (अंडाकार) एवं रंग हल्का पीला भूरा हीलियम जैसा होता है। इसमें तेल की मात्रा 18 फीसदी और प्रोटीन 40 प्रतिशत होती है। उत्पादन क्षमता 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 105 से 110 दिन है। यह राइजोक्टोनिया रोग के प्रति सहनशील और तना मक्खी एवं करधनी कीड़ों के प्रति सहनशील किस्म है।

इस परियोजना के तहत विकसित

इस प्रभेद का विकास आईसीएआर की अखिल भारतीय समंवित सोयबीन अनुसंधान परियोजना के अधीन किया गया है। इससे पहले गत नवंबर में सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी ने बिरसा सोयाबीन-3 प्रभेद को नोटीफाई किया था। निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल, अपर निदेशक अनुसंधान डॉ पीके सिंह और आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम ने इस सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई एवं शुभकामना दी।

निरंतर शोध करने की आवश्यकता

बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के परामर्श एवं निर्देश से फसल सुधार अनुसंधान कार्यक्रम को गति मिली। कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीख पी के मार्गदर्शन एवं सहयोग से दो वर्षो में विश्वविद्यालय ने फसल सुधार की दिशा में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। कृषि सचिव की अध्यक्षता में झारखंड स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी ने दो दर्जन से अधिक नये उन्नत प्रभेदों को अनुशंसा प्रदान की है। सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी ने करीब एक दर्जन उन्नत किस्मों को नोटीफाई किया है। झारखंड कृषि में विविधता एवं समस्याओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों को प्रदेश अनुकूल एवं किसान हित में फसल सुधार कार्यक्रम में निरंतर शोध करने की आवश्यकता है।