जीवनशैली में बदलाव हैड नेक कैंसर का बड़ा कारण, अरबों में होगी मौत

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जयपुर। हमारी बदलती जीवनशैली के साथ मदिरा, तंबाकू उत्पादों का सेवन हैड नेक कैंसर का बड़ा कारण है। अकेले तंबाकू और अन्य धूम्ररहित चबाने वाले पदार्थों के सेवन से ही देशभर में प्रतिवर्ष 13.5 लाख से अधिक लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों से दम तोड़ रहें है। राजस्थान में करीब 65 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इसमें युवा अवस्था में होने वाली मौतों का कारण भी मुंह व गले का कैंसर मुख्य है।

कैंसर रोग विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि 21वीं शताब्दी तक तंबाकू के उपयोग के कारण अरबों मौतें होंगी। यदि कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ तो इन मौतों में 80 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होगी। विशेषज्ञों ने लोगों से शराब, तंबाकू उत्पादों से दूर रहने की अपील की है। कहा कि कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू सेवन है।

भारत में प्रतिवर्ष 2.1 लाख नए रोगी

सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ पवन सिंघल बतातें है कि इलाज के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर और गला कैंसर के लगभग आधे मरीज नहीं बच पाते। दो तिहाई सिर और गला का कैंसर तंबाकू के कारण होता है। भारत में प्रतिवर्ष 2.1 लाख हैड नेक कैंसर के नए रोगी आ रहे है। वहीं यह आंकड़ा पुरुषों में 76 प्रतिशत और महिलाओं में 24 प्रतिशत है।

राजस्थान में भी स्थिति चिंताजनक

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते है। इसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलाएं शामिल है। यहां पर 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते है, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष व 5.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है।

भारत में कैंसर का सबसे बड़ा स्रोत

डॉ सिंघल ने कहा सिर एवं गला कैंसर, मुंह, कंठनली, गले या नाक में होता है। हेड एंड नेक कैंसर भारत में कैंसर का सबसे बड़ा स्रोत हैं। निदान के 12 महीने के भीतर नए निदान किए गए सिर एवं गला कैंसर कैंसर के लगभग आधे मरीज मर जाते हैं। विरोधाभासी रूप से, दो-तिहाई सिर एवं गला कैंसर के ज्ञात एजेंटों में तंबाकू, अरेका अखरोट और शराब से संबंधित हैं। दुर्भाग्यवश, ये कारक एजेंट कमजोर नीति या कार्यान्वयन या इसकी अनुपस्थिति के कारण स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं।

भारत में चबाने वाले तंबाकू से धूम्रपान की तुलना की जाती है। 90 प्रतिशत मुंह और गले के कैंसर का कारण तंबाकू का उपयोग है। भारत में दुनिया में चबाने वाली तंबाकू की सबसे अधिक खपत के कारण बदनाम है। यह लत के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। पिछले दो दशकों में इसकी बढ़ती खपत से मुंह के कैंसर में खतरनाक ढंग से वृद्धि हुई है।

डॉ ने बताया कि वर्तमान समय में स्थिति बहुत ही चिंताजनक होती जा रही है, हमें कैंसर को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, खासतौर पर जो रोकथाम योग्य हैं। स्वस्थ समाज के लिए सभी निवारक उपायों के लिए हमारा ध्यान युवाओं पर होना चाहिए। तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल भारत में 13.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं जो कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

गौरतलब है कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017-18 के अनुसार, तंबाकू की खपत के कुल प्रसार का 28.6 प्रतिशत में भारत में 21.4 प्रतिशत चबाने वाले तंबाकू का उपयोग होता है जबकि 10.7 प्रतिशत धूम्रपान सिगरेट और बिड़ी का। भारत सरकार ने गुटका, स्वाद, पैकिंग चबाने वाले तंबाकू पर प्रतिबंध लगाकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। वास्तव में, 23 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत में जुड़वां पैक सहित धुएं रहित तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।